नई दिल्ली : 1984 के सिख विरोधी दंगों में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को यह सजा सुनाई। सज्जन कुमार हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह सज्जन कुमार पर कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। करीब 34 सालों के बाद सिख समुदाय को थोड़ा न्याय मिला है। केजरीवाल ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि सिख वरोधी दंगों में संलिप्त बड़े नेताओं को भी सजा मिलेगी। इसी तरह से 2002 के गुजरात दंगों एवं मुजफ्फरनगर के दंगाइयों को भी सजा मिलनी चाहिए।'
सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि 1984 सिख विरोधी दंगा एक ऐसा मामला था जिसमें साक्ष्य नहीं हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को वो लोग पढ़ रहे हैं, जहां तक अदालत के फैसले का सवाल है उसका उनका मुवक्किल सम्मान करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है और वो लोग सर्वोच्च अदालत में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस को घेरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। वह सज्जन कुमार को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर है। भाजपा का आरोप है कि इस दंगे में संलिप्त अपने नेताओं को कांग्रेस पार्टी बचाती रही है।
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