नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उर्जित पटेल से कभी नहीं कहा था कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा दें। मंगलवार को इंडिया टुडे के कार्यक्रम एजेंडा में यह बात उन्होंने पत्रकार राजदीप सरदेसाई से कही। पूछा गया था- पटेल ने इस्तीफा दिया, उन पर दवाब था। क्या बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का इस्तेमाल हो रहा था?

जेटली का जवाब आया, “हमारी सरकार जब आई, तब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद उस बोर्ड के सदस्य थे, तब आप लोगों ने सवाल नहीं किया?” उनके मुताबिक, सरकार ने पटेल से इस्तीफा नहीं मांगा था। केंद्रीय बैंक के आरक्षित कोष के आकार जैसे मुद्दों पर आरबीआई के निदेशक मंडल की बैठक में सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई थी। दो-तीन मसलों पर उसमें फैसले भी लिए गए थे।

जेटली ने इसके स्पष्ट किया, “सरकार को चालू वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई के आरक्षित पूंजी भंडार से एक फूटी कौड़ी की जरूरत नहीं है।” बता दें कि केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच बीते कुछ वक्त से नकदी समस्या समेत कुछ अन्य मसलों को लेकर तनातनी चल रही है, जिसे लेकर 11 दिसंबर को अचानक पटेल ने इस्तीफा दे दिया था। देखें उर्जित पटेल के इस्तीफे पर वित्त मंत्री ने क्या कहाः

हालांकि, इसके पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया था। मोदी सरकार ने पटेल के इस्तीफा के बाद पूर्व आईएएस अधिकारी शक्तिकांत दास को नया गवर्नर बनाया था। जेटली ने दास को आरबीआई के शीर्ष पद के लिए ‘सही साख’ वाला व्यक्ति बताया था। वह बोले थे, “दास एक बहुत वरिष्ठ और अनुभवी नौकरशाह रहे हैं। उनका पूरा कामकाजी जीवन लगभग देश के आर्थिक और वित्तीय प्रबंधन में गुजरा है। भले ही वह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में कार्यरत रहे हों या तमिलनाडु में राज्य सरकार के साथ काम किया हो।”

इससे पहले, वित्त मंत्री ने अंधाधुंध कर्ज देने (साल 2008 से 2014 के बीच) वाले बैंकों पर रोक लगाने में नाकाम रहने को लेकर आरबीआई की कड़ी आलोचना की थी। 30 अक्टूबर को वह बोले थे, “बैंकों में इस वजह से फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है। आरबीआई की सुस्ती से यह खरबों में पहुंच चुका है।” वित्त मंत्री की यह टिप्पणी तब आई थी, जब आरबीआई की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय व केंद्रीय बैंक के बीच तनातनी बढ़ने से जुड़ी खबरें आई थीं।