नई दिल्ली: राफेल डील मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नए हलफनामे के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार (17 दिसंबर) को पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी। अब प्रक्रियानुसार पीएसी अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। सीएजी के इस कदम से दो दिन पहले कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि सीएजी ने राफेल जेट विमानों की कीमतों से जुड़ी रिपोर्ट पीएसी से साझा नहीं की है।

बता दें कि शुक्रवार (14 दिसंबर) को मोदी सरकार को राफेल पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। कोर्ट ने कहा था कि डील और विमानों कोई कमी देखने को नहीं मिलती है। ऐसे में यह कोर्ट का काम नहीं है कि वह इस मामले दखल दे। मुख्य विपक्षी दल ने उसके बाद सीएजी रिपोर्ट को लेकर केंद्र पर जुबानी हमले बोले थे।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले के बाद कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें वह बोले थे, “केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट पीएसी से साझा की गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएसी मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बारे में साफ किया कि ऐसी कोई रिपोर्ट कमेटी से साझा नहीं की गई।”

ग़ौरतलब है शनिवार को मोदी सरकार ने इस मामले को लेकर ताजा हलफनामा दाखिल किया था। सरकार का कहना था कि उससे पिछले हलफनामे में व्याकरण संबंधी चूक हो गई थी। दरअसल, केंद्र पर कोर्ट को गलत जानकारी देने का आरोप लगा, तब उसने संशोधन के लिए कोर्ट में हलफनामा सौंपा था। नए हलफनामे में बताया गया था कि टाइपिंग में गलती हुई थी, जिसकी कोर्ट ने गलत व्याख्या की। नए हलफनामे में सरकार ने स्पष्ट किया था कि सीएजी रिपोर्ट पीएसी ने अभी तक नहीं देखी है।

सरकार ने इससे पहले कोर्ट से कहा था कि विमानों का दाम निर्धारण और उससे जुड़े अन्य ब्यौरे की रिपोर्ट कैग ने पीएसी को सौंपी थी, जिसकी समीक्षा पीएसी ने की है। वह रिपोर्ट भी बाद में कोर्ट को दी गई, जबकि कांग्रेस ने इस दावे को झूठा बताया। वहीं, नए हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि उसने केवल रिपोर्ट और रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया का हवाला दिया है।