नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि एक बार कर्ज नहीं चुका पाने वाले 'विजय माल्याजी' को चोर कहना अनुचित है। उन्होंने कहा कि संकट से जूझ रहे उद्योगपति का चार दशक तक ठीक समय पर कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड रहा है।

गडकरी ने हालांकि, स्पष्ट किया कि उनका माल्या के साथ किसी तरह का कारोबारी लेनदेन नहीं है। हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत ने माल्या को भारत को सौंपने का निर्देश दिया है। माल्या पर कथित रूप से 9,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग का आरोप है।

गडकरी ने यहां एक मीडिया ग्रुप के आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘40 साल माल्या नियमित भुगतान करता रहा था, ब्याज भर रहा था। 40 साल बाद जब वो एविएशन में गया… उसके बाद वो अड़चन में आया तो वो एकदम से चोर हो गया? जो पचास साल ब्याज भरता है वो ठीक है, पर एक बार वो डिफॉल्ट हो गया…तो तुरंत सब फ्रॉड हो गया? ये मानसिकता ठीक नहीं।’’

गडकरी ने कहा कि वह जिस कर्ज का जिक्र कर रहे हैं वह महाराष्ट्र सरकार की इकाई सिकॉम द्वारा माल्या को दिया गया था। यह कर्ज 40 साल पहले दिया गया था। यह कर्ज माल्या ने बिना रूके समय पर चुकाया था।

मंत्री ने कहा कि किसी भी कारोबार में उतार-चढ़ाव आते हैं, यदि किसी को दिक्कत आती है तो उसका समर्थन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कारोबार में जोखिम होता है, चाहे बैंकिंग हो या बीमा, उतार-चढ़ाव आते हैं। यदि अर्थव्यवस्था में वैश्विक या आंतरिक कारणों मसलन मंदी की वजह से गलतियां बुनियादी हों तो जो व्यक्ति समस्याएं झेल रहा है उसका समर्थन किया जाना चाहिए।

कारोबारी समस्या को चुनाव में हुई हार से जोड़ते हुए गडकरी ने कहा कि कैसे वह 26 साल की उम्र में चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने जोर देते हुये कहा कि इस हार का मतलब यह नहीं था कि उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो गया।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि नीरव मोदी या विजय माल्याजी ने वित्तीय धोखाधड़ी की है तो उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, लेकिन यदि कोई परेशानी में आता है और हम उसपर धोखेबाज का लेबल दे देते हैं तो हमारी अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर सकती।

लंदन की एक अदालत ने इसी सप्ताह माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। इससे सरकार के भगोड़े कारोबारी को वापस लाने के प्रयास में एक बड़ी सफलता मिली है।