नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरुवार को सरकार तथा रिजर्व बैंक के बीच मतभेद की बात स्वीकारी है। उन्होंने कहा कि दो-तीन मुद्दे हैं, जहां रिजर्व बैंक के साथ मतभेद है। हालांकि, उन्होंने सवाल उठाया कि रिजर्व बैंक के कामकाज के तरीके पर चर्चा करने मात्र से ही इसे कैसे एक संस्थान को नष्ट करना कहा जा सकता है।

उर्जित पटेल के इस्तीफे की स्थिति पैदा करने को लेकर राजनीतिक आलोचनाओं का सामना कर रहे जेटली ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी समेत पूर्व सरकारों के ऐेसे उदाहरण दिए जिसमें आरबीआई के तत्कालीन गवर्नरों को इस्तीफा देने तक को कहा गया।

एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि आरबीआई के साथ अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह तथा नकदी समर्थन समेत कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है और सरकार ने अपनी चिंता बताने के लिये बातचीत शुरू की थी।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि एक प्रमुख स्वतंत्र और स्वायत्त संस्थान के साथ इस बारे में चर्चा करना कि यह आपके (आरबीआई) काम का हिस्सा है। यह अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे आपको अवश्य देखना चाहिए, आखिर ऐसा करना किस प्रकार से एक संस्थान को खत्म करना कहा जा सकता है?

रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने आरबीआई कानून की धारा 7 का पहली बार उपयोग करते हुए केंद्रीय बैंक के साथ बातचीत शुरू की थी। इस धारा के तहत केंद्र सरकार आरबीआई को जनहित में कदम उठाने के लिए कह सकती है।