मुंबई: ब्रिटेन के सर्वाधिक समावेशी विश्वविद्यालयों में से एक, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर ने भारतीय शिक्षाविदों के साथ साझेदारी की है. इस साझेदारी के अंतर्गत शिक्षकों के लिए बच्चों को जीवन कौशल प्रदान करने का नया डिप्लोमा कोर्स आरम्भ किया जाएगा. शिक्षकों को पढ़ाने के लिए ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शुमार यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर ने इस नए सेवाधीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (इन-सर्विस ट्रेनिंग प्रोग्राम) को मुहैया करने के लिए बॉलीवुड स्टार और शिक्षाशास्त्री, डॉ. स्वरुप संपत-रावल के साथ गठबंधन किया है.
डॉ. संपत-रावल यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर की भूतपूर्व छात्रा हैं जिन्होंने वोर्स्टर में पीएच.डी. के लिए पढ़ाई की थी. उनकी डॉक्टरेट की थीसिस सीखने की दुर्बलता से पीड़ित बच्चों में जीवन कौशल बढ़ाने के लिए नाटक के प्रयोग पर आधारित थी. डॉ. स्वरुप संपत-रावल का जीवन भारत में युवाओं को शिक्षित करने के प्रति समर्पित है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर के स्कूल ऑफ़ एजुकेशन की हेड, एन जॉर्डन ने कहा कि, “डॉ. संपत-रावल के कार्यों का विश्व स्तर पर प्रभाव हुआ है और हम यह नया डिप्लोमा प्रदान करने के लिए उनकी साझेदारी में काम करने को लेकर बेहद खुश हैं. भारत में डॉ. संपत-रावल द्वारा किये जा रहे कार्य हमारी यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर के सिद्धांतों से पूरी तरह मेल खाते हैं. उनका कार्य समावेशन पर आधारित है और सभी के लिए उपलब्धि सुनिश्चित करते हैं, हम भी वोर्स्टर में ठीक इसी लक्ष्य को आगे बढ़ाते हैं.”

डॉ. संपत-रावल ने खुद को सामुदायिक विकास और प्रचार के लिए समर्पित कर दिया है. वे अधिकाधिक बच्चों को, जैसे कि आदिवासी समुदायों या गलियों में भटकने वाले बच्चों को क्लासरूम में लाने के अभियान के साथ-साथ देश भर में घूम-घूम कर शिक्षकों को प्रशिक्षित कर रही हैं.

डॉ. स्वरुप संपत-रावल ने कहा कि, “इस डिप्लोमा को लेकर मैं सचमुच रोमांचित हूँ. शिक्षक प्रशिक्षण में वोर्स्टर यूनिवर्सिटी का शानदार इतिहास है, इसलिए जाहिर है मेरे अभियान में उनसे बढ़िया और कोई हमसफ़र नहीं हो सकता था. पर्सनल सोशल एजुकेशन में इस नए डिप्लोमा कोर्स से शिक्षक बच्चों में जीवल कौशल भरने के लिए बेहतर ढंग से निपुण होंगे जो आज की दुनिया के लिए बेहद ज़रूरी है. इस डिप्लोमा कोर्स को यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोर्स्टर के शिक्षक प्रशिक्षण के लम्बे अनुभव और समावेशन के प्रति इसकी प्रतिबद्धता के आधार पर तैयार किया गया है.

“मैंने जब अपने गृह राज्य गुजरात में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में जीवन कौशल पढ़ाने का प्रस्ताव किया था तब तत्कालीन मुख्य मंत्री और वर्तमान प्रधानमन्त्री, नरेन्द्र मोदी ने मेरी दृष्टि और योजना को तुरंत स्वीकार कर लिया. उस वक्त मेरा फोकस स्टुडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के हल पर था, जो उनके शैक्षणिक और सामाजिक जीवन में काफी उपेक्षित और कम समझा गया पहलू है.”

पर्सनल सोशल एजुकेशन (वैयक्तिक सामाजिक शिक्षा) में डिप्लोमा का पाठ्यक्रम मुंबई में सोमवार, 3 दिसम्बर, 2018 को एक विशेष समारोह में शिक्षा के क्षेत्र के अग्रणी लोगों और सरकार के मंत्रियों की उपस्थिति में लांच किया जाएगा. यह डिप्लोमा, जो मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में है, भारत और यूनाइटेड किंगडम, दोनों देशों में प्रदान किया जाएगा. इसका लक्ष्य इन दोनों देश में शिक्षकों को आवश्यक युक्तियाँ विकसित करने में सपोर्ट करना है ताकि वे बच्चों को आत्मविश्वास के साथ जीवन कौशल प्रदान कर सकें.