ई दिल्ली: सट्‌टा बाजार के मुताबिक, मध्य प्रदेश, राजस्थान में कांग्रेस आगे है, वहीं छत्तीसगढ़ में पांच सीटों के अंतर से चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में हैं. पिछले एक हफ्ते में मामूली फेरबदल से यही स्थितियां बनी हुई है. सट्टा बाजार में चल रही अटकलों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कुल 230 में से कांग्रेस 114-116 सीट पर जीत रही है. वहीं बीजेपी को 101-103 सीट मिलने का अनुमान है. उधर राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटों में से 127- 129 सीट कांग्रेस, तो 54-56 सीट बीजेपी को जा रही हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में कुल 90 सीटों में से बीजेपी 43-45 पर, तो कांग्रेस के 38-40 सीट पर जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है.

सट्‌टा बाज़ार में चल रहे इस हार-जीत के खेल ने चुनावी माहौल को मसालेदार बना दिया है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं की नज़र सट्‌टा बाजार पर गड़ी हैं. माना जाता है कि सट्‌टा बाजार चुनावी ट्रेंड को सेट करता है. इसलिए कमज़ोर पड़ रहे कई नेता अपने ख़ास लोगों के ज़रिए सट्टा बाज़ार में अपना पैसा लगा रहे हैं. लेकिन बहुत ही ईमानदारी से चलने वाले इस गैरकानूनी कारोबार में कोई सट्‌टा खेलने वाला नहीं मिल रहा है.

सट्‌टा कारोबारियों का अपना नेटवर्क है, जो किसी राजनेता से भी ज़्यादा पैनी नज़र और समझ रखते हैं. ये लोग बाज़ार को समझ कर उम्मीदवार की हार-जीत, किसी भी दल को लेकर जनता की राय, समय से पहले भांप जाते हैं. इसी फीड बैक पर बाज़ार में पैसा लगता है. जो जीतने वाला होगा उसका भाव कम होता है, हारने वाले का ज्यादा. इससे जो हवा बनती है वो बाज़ार के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों तक पहुंच कर माहौल को गरमा देती है.

'इंदौर के सर्राफा की तंग दुकानें, जिसे गुदड़ी कहते हैं, वहां पर पारंपरिक गोल तकिए लगाए कारोबारियों की बड़ी जमात है. इनमें से कई लोग सट्‌टे के बड़े कारोबारी हैं. नाम और पहचान छुपाने की शर्त पर वे बताते हैं कि ये एक व्यापार है. यहां लोगों का करोड़ों रुपए लगा हुआ है. इसलिए इसमें कोई फर्ज़ीवाड़ा नहीं चलता. जनता, राजनीतक दल किसी भी उम्मीदवार के ऊपरी बेल-बूटे देखती है. सट्‌टा कारोबारी अंदर से फूटे पेंदे को देखता है. यहीं बुनियादी फर्क इसमें है.

यहां ना कोई नेता बड़ा है और ना कोई छोटा. ना किसी पार्टी से मोहब्बत है, ना किसी से दुश्मनी. जो दमदार है उसी पर सट्‌टे का दांव है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, डॉ. रमन सिंह सबकी सीटों का यहां आंकलन हो रहा है और भाव खुल रहे हैं. 10 पैसे से लेकर डेढ़ रुपये तक के भाव चल रहे हैं. कई मंत्रियों और हाई प्रोफाइल सीटों को लेकर जमकर दांव लग रहे हैं. जो सीटें सुरक्षित हैं उन्हें लेकर कोई हलचल नहीं है. मध्य प्रदेश के कई मंत्रियों की सट्‌टा बाज़ार हार बता रहा है.

सट्‌टा बाजार से जुड़े एक बुकी बताते हैं कि ये कारोबार ज़मीन पर नहीं दिखता. ये पूछने पर कि इसका सिरा कहां पर है और कहां तक फैला है, तो वे कहते हैं कि इसकी थाह लगा पाना बहुत मुश्किल है. पान की दुकान से लेकर नाई की दुकान तक, धन्नासेठों से लेकर कारोबारियों तक इससे जुड़े हुए हैं. ये शौक है, ये मौज है, और कई लोगों के लिए लत भी है.

धंधा बहुत चोखा है, इसलिए बहुत बारिकी और ध्यान से होता है. वे उदाहरण देते हैं कि इंदौर की एक प्रतिष्ठित सीट पर प्रत्याशी के भाव ठीक करने के लिए 25 पेटी उनके खास लोग उतारना चाह रहे थे, लेकिन कोई बुकी तैयार नहीं हुआ. कारण है प्रत्याशी के भाव कम होते ही रिजल्ट उल्टा आया तो नुकसान की भरपाई कैसे होगी.