अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। रविवार को विश्व हिंदू परिषद की हुंकार रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में राम मंदिर का मसला है ही नहीं है। लेकिन, मंदिर मामले में फैसला लोकसभा चुनाव से पहले आना चाहिए। राम मंदिर का मसला देश की बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं से जुड़ा है। ऐसे में अगर कोर्ट फैसला नहीं दे पाता है, तो सरकार को तुरंत कानून बना देना चाहिए। उन्होंने लोंगो से आह्वान किया कि वे सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाएं। अगर जनता का दबाव बनेगा तो सरकार को हर हाल में मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाना पड़ेगा।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस दौरान अदालत की लेट-लतीफी पर जमकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं ने कोर्ट के फैसले के लिए 30 साल तक धर्य रखा है। न्याय में देरी भी अन्याय है। लेकिन, लगातार जनहित से जुड़े इस मामले को टालने का काम किया गया। मगर, अब स्थिति साफ हो जानी चाहिए। सरकार पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए सरकार को भी अपनी तैयारी रखनी चाहिए।

मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर किसका है यह किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है। वहां से खुदाई के दौरान मिले साक्ष्य राम मंदिर के अस्तित्व को दर्शाते हैं। सभी को पता है कि तलवार के दम पर जबरन अयोध्या में रामजन्म भूमि को कब्जे में लिया गया। लेकिन, यह स्थिति हमेशा कायम नहीं रहेगी। हिंदू समाज की भावनाएं वहां से जुड़ी हैं। अब जरूरी हो गया है कि सरकार इस झगड़े को खत्म करे। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि मंदिर बनाना उनके अधिकार क्षेत्र का मसला नहीं है। लेकिन, जिनको बनाना है वह सोचें कि कैसे बनना है।