नई दिल्ली: आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि यह तय है कि लोकसभा चुनाव से पहले उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आने वाला है। ऐसे में उक्त प्रयास उन लोगों को साथ एकजुट रखने का है, जिन्होंने राम मंदिर की आस में वोट दिया था। जिलानी ने कहा कि मकसद राजनीतिक है और इसमें कोई शक नहीं है कि 2019 के लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार की जा रही है। बोर्ड के ही एक अन्य सदस्य खालिद राशिद फरंगीमहली ने ‘कहा कि छोटे से बच्चे को भी पता है कि देश के माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव और अगले साल की शुरूआत में होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा हासिल किया जा सके ।

फरंगीमहली ने कहा कि सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अयोध्या में आम आदमी की सुरक्षा के लिए मजबूत बंदोबस्त किया जाए ताकि 1992 जैसी घटना की पुनरावृत्ति ना होने पाये । जिलानी ने कहा कि सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं होना चाहिए । दोनों ही हालांकि महसूस करते हैं कि सरकार और प्रशासन को ना सिर्फ मुसलमान बल्कि अयोध्या के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। विशेषकर 1992 में जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए।

राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद मामले से जुडे इकबाल अंसारी, हाजी महबूब और मोहम्मद उमर ने हाल ही में कहा था कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए। अंसारी ने कहा कि विहिप और शिवसेना अयोध्या में बडी संख्या में अपने कार्यकर्ता एकत्र कर रहे हैं, इसलिए यहां का मुसलमान समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है। हम अयोध्या से बाहर भी जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि मुसलमानों की जान माल की हिफाजत के लिए विशेष बल की तैनाती की जाए। फैजाबाद के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ंिसह ने आश्वासन दिया कि मुसलमान समुदाय को पूरी सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है। हम प्रस्तावित कार्यक्रमों के दौरान मजबूत सुरक्षा व्यवस्था कर रहे हैं। इस बीच अयोध्या में धर्म संसद की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। विहिप को एक लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 24 नवंबर को अयोध्या पहुंच रहे हैं।