लखनऊ: भाकपा (माले) ने कहा है कि अयोध्या में 25 नवंबर को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की रैली के बहाने कोई अनहोनी न हो, इसे सुप्रीम कोर्ट देखे। क्योंकि इस समय प्रदेश व केंद्र में भाजपा की सरकारें हैं और 1992 में तत्कालीन भाजपा की राज्य सरकार के आश्वासन के बावजूद बाबरी मस्जिद ढहाने का उदाहरण भी मौजूद है, इसलिए 25 को अयोध्या की शांति-व्यवस्था को लेकर इन सरकारों पर जनता भरोसा नहीं कर सकती। ऐसे में अमन-चैन के साथ खासतौर से अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा की जिम्मेवारी देश की सर्वोच्च अदालत को लेनी चाहिए।

यह बात गुरुवार को यहां जारी बयान में भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कही। उन्होंने बारावफात के मौके पर मिर्जापुर व कानपुर में साम्प्रदायिक उपद्रव कराने की संघ की साजिश की निंदा की। उन्होंने कहा कि संघ नेतृत्व को यह समझ में आ गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपनी उपलब्धियों के बूते 2019 में दोबारा जनादेश नहीं पा सकती, क्योंकि जनता से किये वादों को पूरा करने में वह बुरी तरह फेल हुई है। उसके सभी प्रमुख वादे जुमले साबित हुए – विदेशों में जमा काला धन ले आने, प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार देने, हरेक देशवासी के खाते में 15-15 लाख पहुंचाने, किसानों को उपज की लागत का ड्योढ़ा देने और इसी तरह के अन्य वादों को साढ़े चार साल में भी वह पूरा नही कर पाई। यहां तक कि नोटबंदी का घोषित एक भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी। बल्कि सरकार के इस कदम से रोजगार नष्ट हुए और देश पीछे गया। यही नहीं, उसने लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद करने वाले फैसले लिए।

माले नेता ने कहा कि यही कारण है कि संघ परिवार अयोध्या में राममंदिर के एजेंडे को आगे कर 2019 की अपनी तैयारी में जुट गया है, जिसका उद्देश्य है – साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराकर भाजपा को केंद्र की सत्ता में दोबारा लाना। संघ नेतृत्व ने इसकी खास जिम्मेदारी यूपी के सीएम योगी को सौंपी है, जो प्रदेश ही नहीं, पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में अपने भाषणों के जरिए राममंदिर निर्माण को उछाल कर ध्रुवीकरण में जुट गए हैं। भाजपा व विहिप समेत संघ परिवार के सारे संगठन भी नफरत की राजनीति फैलाने और ध्रुवीकरण कराने में लग गये हैं। चारों ओर एक ही शोर फैलायी जा रही है – राममंदिर का निर्माण। इसकी आड़ में अन्य सारे महत्वपूर्ण मुद्दों को दबा देने, मोदी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की सोची-समझी राजनीति हो रही है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि संघ-भाजपा के 1992 वाले 'छुपे एजेंडे' को जेहन में रखते हुए, 25 नवंबर को अयोध्या में कार सेवकों की बड़ी संख्या में जुटान को लेकर अयोध्या ही नहीं, देशभर में अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना है। उनकी चिन्ताएं वाजिब हैं। यह सिर्फ उनकी ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जनमानस की भी चिंता है। अविश्वास व असुरक्षा के इस माहौल में देश की सर्वोच्च अदालत को लोकतंत्र और संविधान की रक्षा में आगे आना चाहिए। माले नेता ने शांति, लोकतंत्र व आपसी भाईचारे में विश्वास करने वाले प्रदेश व देशवासियों से भी संघ-भाजपा की चाल को कामयाब न होने देने की अपील की।