नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिवसेना एवं हिंदू संगठनों की मुहिम को जोर पकड़ते देख विपक्षी दल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि योगी सरकार 25 नवंबर को अयोध्या में प्रस्तावित 'मंदिर मार्च' पर रोक लगाए। इस बीच, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने शुक्रवार को 'उकसाने' वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद 17 मिनट में तोड़ दी गई। शिवसेना नेता के इस बयान के राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि फैजाबाद-अयोध्या के माहौल को देखते हुए वहां सेना की तैनाती होनी चाहिए।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के लोगों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा, 'भाजपा के लोगों को न तो सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है न संविधान पर। भाजपा अपने स्वार्थ के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। मैं सोचता हूं कि उत्तर प्रदेश के एक जिले खासकर फैजाबाद और अयोध्या में जैसा माहौल है उसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। जरूरत पड़े तो शांति के लिए वहां सेना की तैनाती की जाए क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगी किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।'

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि भाजपा का राम मंदिर से कोई वास्ता नहीं है। कांग्रेस नेता एवं प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'भाजपा को न तो भगवान राम से कोई लेना-देना है और ना राम-मंदिर से। इनके लिए राम मंदिर आस्था का प्रश्न नहीं है। भाजपा के लिए राम मंदिर केवल वोट बटोरने की मशीन है।' तिवारी ने कहा कि जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं भाजपा राम मंदिर का मुद्दा उठाती रहती है।

बता दें कि संजय राउत ने शुक्रवार को कहा, 'हमने 17 मिनट में बाबरी मस्जिद तोड़ दी तो कानून बनाने में कितना समय लगता है? राष्ट्रपति भवन से लेकर यूपी तक भाजपा की सरकार है। राज्य सभा में ऐसे बहुत सांसद हैं जो राम मंदिर के साथ खड़ें रहेंगे जो विरोध करेगा उसका देश में घूमना मुश्किल होगा।'