जयपुर में निकाला गया ईद मीलादुन्नबी का ऐतिहासिक जुलूस

जयपुर: भारत आज दुनिया में सूफ़ीवाद का सबसे प्रेरक स्थल है और इस्लामी जगत में अमन के लिए उन्हें भारत के बरेली आंदोलन से सीखना चाहिए। जबकि हर तरफ कट्टरता का प्रभाव है, भारत का सूफी बरेली विचार पूरी दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह बात जयपुर के ऐतिहासिक ईद मीलादुन्नबी के समापन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता और सुन्नी दावते इस्लामी के राज्य प्रमुख सैयद मुहम्मद क़ादरी ने कही। जयपुर में बुधवार को पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब की जयंती यानी ईद मीलादुन्नबी का ऐतिहासिक जुलूस निकाल गया जिसमें जयपुर शहर के अलावा क्षेत्र के लाखों लोगों ने शिरकत की।

मीलाद बोर्ड, मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया, वाहिद मेमोरियल सोसाइटी और सुन्नी दावते इस्लामी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयपुर मीलाद, जुलूस और सभा में जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी, उप मुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही, मीलाद बोर्ड के हाजी रफ़त और सुन्नी दावते इस्लामी के शकील अशरफ़ी के अलावा सैकड़ों उलामा और लाखों की तादाद में जनता ने शिरकत की।

मुख्य वक्ता सैयद मुहम्मद क़ादरी ने कहाकि यह देखने में आ रहा है कि पूरे इस्लामी जगत में अशांति है जबकि इस साज़िश में सऊदी अरब, अमेरिका, इज़राइल और वहाबी विचारधारा का हाथ है। उन्होंने कहाकि बीसवीं सदी तक इस्लाम के जिस शांतिपूर्ण स्वरूप से दुनिया आगाह रही है, वह सूफ़ीवाद की शिक्षा है और ईद मीलादुन्नबी के मौक़े पर हर मुस्लिम को यह प्रण करना चाहिए कि वह वहाबी विचारधारा को समझ कर इससे दूरी बनाएगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह फ़िलस्तीन के मसले पर भी गौर करें और वहाँ जारी रक्तपात में वहाबी देश सऊदी अरब, इज़राइल और अमेरिका के नापाक इरादों के बारे में अपनी समझ बढ़ाएँ।

जयपुर शहर के मुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने कहाकि भारतीय विश्वविद्यालयों में इस्लामी अध्ययन में सूफ़ीवाद पर बहुत सीमित सामग्री है जबकि पूरी दुनिया में आज इस्लाम और सूफ़ीवाद पर गंभीर चर्चा है। उन्होंने कहाकि भारत में केन्द्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में जहाँ भी इस्लामी अध्ययन को पढ़ाया जा रहा है, वहाँ मिस्र के अलअज़हर और मोरक्को के अलक़राविन विश्वविद्यालय से सामग्री के आदान प्रदान की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि भारत की हर दरगाह के प्रमुख सूफ़ी और ख़ानक़ाहों के प्रमुख मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को इस बात में मदद कर सकते हैं कि विश्वविद्यालयीन इस्लामी अध्ययन पाठ्यक्रम को सूफ़ीवाद के अनुरूप संरचनात्मक रूप दिया जा सके। भारत के सूफ़ी चाहते हैं कि जो विद्यार्थी इस्लामी अध्ययन के लिए पढ़ने के लिए आए वह सूफ़ीवाद की शिक्षा पाकर अच्छा नागरिक बने। अपना विकास कर सके, समाज और देश का विकास कर सके।

मिस्बाही ने कहाकि वह राजस्थान में मदरसे की शिक्षा के एकीकरण के लिए सिलेबस तैयार कर रहे हैं जिसे वह सूफ़ी विचारधारा के अनुरूप ढाल रहे हैं।

जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी ने कहाकि आज जितना बड़ा कार्यक्रम ईद मीलादुन्नबी का मनाया जा रहा है और हर वर्ष यह जितना बड़ा हो रहा है, वह इस बात की दलील है कि लोग अब सूफ़ीवाद की तरफ़ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में लोगों की बढ़ती शिरकत को सकारात्मक बताते हुए कहाकि लोगों के बीच सूफीवाद की शिक्षा का प्रसार हो रहा है। कई लोगों ने पहले कई विचारधाराओं में बाँट रखा था लेकिन जिस प्रकार लोग ईद मीलादुन्नबी के माध्यम से सूफ़ीवाद के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, यह स्वागत योग्य क़दम है।

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुजात अली क़ादरी ने कहाकि पूरी दुनिया में ईद मीलादुन्नबी मनाए जाने का ट्रेंड फिर से बढ़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि दुनिया में युवा इस्लाम की सूफी व्याख्या की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। क़ादरी ने कहाकि चेचेन्या, ट्यूनिशिया, तंज़ानिया और भारत ने सूफीवाद के सफल प्रयोग से कट्टर वहाबी विचारधारा को धूल चटाई है और आशा की जानी चाहिए कि ईद मीलादुन्नबी के सॉफ्ट पॉवर से कट्टरता को पूर्ण रूप से उखाड़ फेंका जा सकता है। उन्होंने जयपुर के युवाओं को शानदार आयोजन की बधाई दी।

आयोजक मीलाद बोर्ड के प्रमुख हाजी रफ़त ने लोगों से अपील की कि वह चुनाव के माहौल में शांति बनाए रखें। उन्होंने हालिया रामगंज में तनाव के मद्देनज़र लोगों को समझाया कि वह किसी भी तरह की अफ़वाह पर ध्यान ना दें और शहर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखें। हाजी जी ने कहाकि लोगों को जागरुक रहकर गैर सामाजिक तत्वों के प्रति सतर्क रहना है। उन्होंने कहाकि जयपुर शहर गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए प्रसिद्ध है और ईद मीलादुन्नबी के कार्यक्रम में सभी मत और सम्प्रदाय के लोग भाग लेते हैं। इस शांति को क़ायम रखना है।

दोपहर को ज़ुहर की नमाज़ के बाद लाखों लोगों के साथ जयपुर शहर के दरगाह ज़ियाउद्दीन रह. से शुरू हुआ जुलूस जैसे जैसे आगे बढ़ा लोग उसमें शरीक़ होते गए। चार दरवाज़े और सुभाष चौक पर लाखों लोग दरगाह से शुरू जुलूस का इंतज़ार कर रहे थे। सुभाष चौक तक आते आते रंग बिरंगी हरी, नीली, पीली, लाल झंडियों और ख़ानक़ाही पताकाओं से सजे लोगों का मजमा लाखों लोगों के रैले में बदल गया। जगह जगह लोगों ने जुलूस में चलने वाले लोगों के लिए नाश्ते, आराम, मेडिकल, पानी, फल और चाय शर्बत का इंतज़ाम किया हुआ था। जुलूस में चल रहे मुख्य वक्ता सैयद मुहम्मद क़ादरी की एक झलक पाने के लिए लोग बेक़रार नज़र आए।

जलसे मे चल रहे मुख्य मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रज़वी और मुख्य वक्ता सैयद मुहम्मद क़ादरी की एक झलक पाने और उनका हाथ चूमने को लेकर लोगों में होड़ लग गई । काफ़ी मशक्कत के बाद लोगों को हटाया जा सका। बाद में सभा में मंच पर जैसे ही दोनों वक्ता पहुँचे लोगों ने ‘नारा ए तकबीर अल्लाहू अकबर’ और ‘नारा ए रिसालत या रसूलल्लाह’ से आसमान गुंजायमान कर दिया।

शाम को सूर्यास्त तक मग़रिब की नमाज़ के समय जुलूस करबला मैदान पहुँचकर एक सभा में तब्दील हो गया। जहाँ पहले से मजमा सजा था। सभा में मुख्य वक्ताओं ने अपने संबोधन से ईद मीलादुन्नबी और देशप्रेम एवं सूफ़ीवाद के संबंध को स्पष्ट किया। इस अवसर पर कई नातख़्वाहों ने अपने कलाम पेश किए। लोगों से सूफ़ीवाद और देशप्रेम के जज़्बे को कामयाब बनाने की अपील के साथ देर रात जलसा समाप्त हो गया।

आयोजन समिति के सदस्यों वाहिद यजदानी, हाजी भूरी खान, मुस्तफा तन्ज़ेनाईट, हाजी नायाब, सय्यद मुबारक अली, गुड्डू भाई कर्बला, मौलाना शकील अशरफी, मुहम्मद अली, मुन्ना मंसूरी, मौलाना ज़ाहिद नूरी, कारी मोइनूद्दीन आदि मौजूद रहे।