लखनऊ: आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के जे़रे एहतमाम एक बैठक मोहम्मद इस्लाम साहब की घर, खाला बाजार, लखनऊ में हुई। बैठक को सम्बोधित करते हुए बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने अल्लामा इकबाल का शेर पड़ते हुए कहा कि ‘‘की मोहम्मद से वफा तूने तो हम तेरे है यह जहां चीज़ है क्या लौहे कलम तेरे हैं।’’ इस शेर से एक बात साफ हो गई कि अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंदीदा अमल रसूल से मोहब्बत करना है। अल्लाह की कुरबत हासिल करने का ज़रिया सिर्फ मोहम्मद सल्लललाओं अलैहि वसल्लम की वाहिद ज़ाते मुबारका है। सैयद जुनैद अशरफ ने कहा कि हर दावे की एक दलील होती है। जैसे कि कोर्ट में अगर कोई शख्स मुकदमा करता है तो वह उसका दावा करता है। मगर जज उस दावे पर फैसला न करते हुए उसकी दलील देखते है। अगर दलील मज़बूत तो दावा मज़बूत, दलील कमज़ोर तो दावा कमज़ोर। इसी बुनियाद पर जज हज़रात का फैसला करते हैं। इसी तरह मोहब्बते ईलाही की दावा रसूल है। इस दावे मज़बूत करने के लिए हमें फराएज़ के साथ-साथ नबी सल्लललाओं अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलना है। यानि हमें चाहिए कि पड़ोसी का ख्याल रखें, अपने मुल्क से मोहब्बत करें, यतीमों का सहारा बनना है। समाज में अमन का माहौल कायम करें। रिश्तेदारों से हुस्ने सुलूक रखें। मरीजों का हालचाल लें। समाज को शिक्षित करने में हर सम्भव सहायता करें। भ्रष्ट्राचार से दूर रहें। औरत को उसके हुकुक दें। शराब जैसी गंदी चीज से दूर रहें, दहशतगर्दों से नफरत करें वगैरह और जब 12 रबी अव्वल आये तो हम सुबह-सुबह जुलूसे मोहम्मदी में कुछ इस तरह शामिल हो कि दूसरे कह दें कि देखो नबी के चाहने वाले ऐसे होते हैं।