उदयपुर स्थित गैर-लाभकारी संगठन नारायण सेवा संस्थान ने 13 से 16 नवंबर तक दिव्यांगों पर उच्च तकनीक वाले नैदानिक परीक्षण आयोजित किए जाने की एक पहल की है। चार दिवसीय परीक्षण के दौरान, प्रोस्थेटिक्स सर्जन और फिजियोथेरेपिस्ट निर्धन एवं वंचित लोगों के लिए मिलकर काम करेंगे।
भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के अनुभवी और कुशल सर्जनों को अनुसंधान एवं विकास कार्य में सहायता के लिए आमंत्रित किया गया है। लगभग दस वंचित और विकलांग व्यक्तियों को पहले चरण में मायोइलेक्ट्रिक प्रोस्थेटिक्स परीक्षणों से गुजरना होगा।
एक मायोइलेक्ट्रिक-नियंत्रित प्रोस्थेसिस एक बाहरी रूप से संचालित कृत्रिम अंग है जो एक मरीज की मांसपेशियों द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पन्न विद्युत सिग्नल के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। सबसे पहले, अवशिष्ट अंग का एक इम्प्रेशन लिया जाएगा, इसके बाद इलेक्ट्रोड प्लेसमेंट पॉइंट्स के लिए परीक्षण किया जाएगा, फिर स्टम्प को लगाने के लिए सॉकेट बनाए जाएंगे और आखिरकार फिटमेंट तैयार होगा।
इस पहल की घोषणा करते हुए नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा, ‘हमें इस अनोखी पहल के बारे में बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है, जिसके अंतर्गत चार दिनों तक मायोइलेक्ट्रिक प्रोस्थेटिक्स के हाई टेक नैदानिक परीक्षण दिव्यांगों पर आयोजित किए जाएंगे। भारत में एमएनसी द्वारा प्रदान किए गए मायोइलेक्ट्रिक प्रोस्थेटिक्स निर्धन एवं वंचित लोगों की पहुंच से बाहर हैं, यही कारण है कि एनजीओ ने जरूरतमंद और वंचित लोगों के लिए इसे सस्ता बनाने के लिए यह पहल की है। हम मायोइलेक्ट्रिक प्रोस्थेटिक्स का सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए रोगियों को शिक्षित और जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित कर रहे हैं।’
एक बार नैदानिक परीक्षण और फिटनेस प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद प्रोस्थेटिक्स को बेंगलुरू में कॉस्मेटिक रूप से आकर्षक बनाने के लिए केंद्रीय फैब्रिकेशन यूनिट में भेजा जाएगा। यह पहल भारत भर में गरीब और वंचित दिव्यांग लोगों के लिए है जो उनके अवशिष्ट अंग के दर्द को काफी कम कर देगी।