लखनऊ: डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड ने स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्रों में निवेश के लिए एक खुले विकल्पों वाली योजना, डीएसपी हेल्थकेयर फंड पेश की है। यह फंड मुख्य तौर पर उन स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी से जुड़ी प्रतिभूतियों में निवेश करेगी जिनका कुछ पोर्टफोलियो आवंटन विदेशी प्रतिभूतियों में हो। एनएफओ 12 नवंबर को खुलेगा और 26 नवम्बर को बंद होगा।

डीएसपी हेल्थकेयर फंड 25 प्रतिशत निवेश अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य शेयरों विशेष तौर पर विशाल अमेरिकी कंपनियों में। इससे निवेशकों को अंतर्राष्ट्रीय विविधीकरण की भी पहुँच मिलेगी।

डीएसपी हेल्थकेयर फंड का लक्ष्य है भारत के तीन प्रमुख प्रेरक तत्वों – बढ़ती मांग, निर्यात के मौके और अनुकूल नीतिगत माहौल – का फायदा उठाना। भारतीय स्वस्थ्य क्षेत्र में मांग बढ़ रही है जो आय और खर्च करने की ताक़त बढ़ने के कारण हो रहा है। बुज़ुर्गों की बढ़ती तादाद, बीमारियों के पैटर्न में बदलाव, चिकित्सा पर्यटन में बढ़ोतरी और तंदरुस्ती, बचाव तथा निदान के प्रति जागरूकता में बढ़ोतरी ऐसे तत्व हैं जो इस मांग में योगदान करेंगे। उम्मीद है कि अमेरिकी मूल्यनिर्धारण चक्र के ख़त्म होने, चीन का बाज़ार जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा फार्म बाज़ार है, के खुलने और निर्यात में पेटेंट सम्बद्ध आय सृजन के लिए प्रतिबद्ध अनुसंधान एवं विकास से निर्यात के मौके बढ़ेंगे।

आयुष्मान भारत जैसी सरकारी पहलें – जो विश्व की सबसे बड़ी सरकारी बीमा पहल है जिसके तहत करीब 40 करोड़ अतिरिक्त लोगों को बीमा मुहैया कराये जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि भारत में फिलहाल 30-40 करोड़ लोगों के पास बीमा है। इससे निजी क्षेत्र जिसमें अस्पताल, निदान केंद्र, फार्मास्यूटिकल कंपनियां और चिकित्सा बीमा शामिल हैं, में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में 2025 तक करीब 35,000 रूपये का निवेश किये जाने की उम्मीद है।

इस फंड का बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स होगा। फंड का प्रबंधन आदित्य खेमका और विनीत साम्ब्रे करेंगे जबकि जय कोठारी विदेशी निवेश के लिए प्रतिबद्ध फंड प्रबंधक होंगे। योजना लेने पर कोई शुल्क नहीं है लेकिन 12 महीने के भीतर भुनाने पर एक प्रतिशत का शुल्क लगेगा।

नए फंड के लॉन्च की घोषणा करते हुए डीएसपी इन्वेस्टमेंट मेनेजर्स के अध्यक्ष, कल्पेन पारेख ने कहा, “भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र उल्लेखनीय दौर से गुज़र रहा है। वित्तवर्ष 2018 में आय वृद्धि निराशाजनक रहने के बावजूद कई कम्पनियाँ नए मोड़ पर खड़ी हैं और अस्थाई बाधाएं दूर होने के बाद उनकी रेटिंग में सुधार की गुंजाईश है। भारतीय निवेशक उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए जोड़े गए वैश्विक विविधीकरण के अतिरिक्त तत्व के साथ इस क्षेत्र की संभावनाओं का फायदा उठा सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आदित्य का वैश्विक क्षेत्र का अनुभव और विनीत की स्वस्थ्य क्षेत्र और छोटे तथा मंझोले शेयरों की विशेषज्ञता से इस क्षेत्र की संभावनाओं की पहचान और इसका फायदा उठाने में उल्लेखनीय मदद मिल सकती है।”

डीएसपी इन्वेस्टमेंट मेनेजर्स के इक्विटी प्रमुख, विनीत साम्ब्रे ने कहा, “2030 तक उम्मीद है कि भारत तीन सबसे बड़े फार्मास्यूटिकल बाजारों में शामिल होगा। इनमें से कई भारतीय कंपनियों में दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाएं क्योंकि वे अनुसन्धान एवं विकास पर ध्यान केन्द्रित कर रही हैं और अपने खर्च कम कर रही हैं जिसका असर आने वाले समय में उनके मुनाफे पर होगा। अनुकूल नीतियों के तौर पर आयुष्मान भारत जैसी सरकारी पहलें इस क्षेत्र की वृद्धि में बढ़ोतरी करेंगी। निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ने से लाभ होगा जिससे पोर्टफोलियो में उतार-चढ़ाव कम करने में मदद मिल सकती है और प्रति इकाई जोखिम पर बेहतर लाभ मिलने में भी मदद मिल सकती है।”