लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने भाजपा की मोदी-योगी सरकारों द्वारा शहरों के नाम बदलने को हिन्दू राष्ट्र बनाने की आरएसएस की फासिस्ट परियोजना का अंग और जनता से किये वादों में अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने की कार्रवाई बताया है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि नाम बदलने के पीछे भाजपा की सिर्फ और सिर्फ साम्प्रदायिक सोच और नफरत की राजनीति काम कर रही है। 2019 का आम चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है, नाम परिवर्तन की सूची भी बढ़ती जा रही है। मकसद ध्रुवीकरण कर अभी पांच राज्यों और अगले साल देश भर में चुनावी नैय्या पार लगाना है।

माले राज्य सचिव ने कहा क्योंकि अच्छे दिन दिखाने के लिए विदेश से काले धन लाने, हरेक के खाते में 15-15 लाख पहुंचाने से लेकर प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने तक के मोदी सरकार के वादे जुमले साबित हुए, ऐसे में जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ध्रुवीकरण कराना संघ-भाजपा का बुनियादी नुस्खा रहा है। यही कारण है कि नाम परिवर्तन के एजेंडे के साथ अयोध्या विवाद की आग को भी घी-तेल डालकर भड़काया जा रहा है और इस काम में सुनियोजित तरीके से संघ का पूरा कुनबा मुस्तैद हो गया है।

माले नेता ने कहा कि जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी कानी कौड़ी भी नहीं लगाई, आज नाम बदलने जैसे 'महान' संघर्ष में कूद पड़े हैं और फर्जी इतिहास गढ़ने का उपक्रम कर रहे हैं। प्रदेश और देश का लोकतांत्रिक जनमत इसे बर्दास्त नहीं करेगा और उनकी फासिस्ट परियोजना को चुनावों में शिकस्त देगा।