नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में जल्‍दी सुनवाई से इनकार कर दिया है. सोमवार को अखिल भारतीय हिन्‍दू महासभा ने अयोध्‍या मामले में जल्‍द सुनवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की संयुक्त बेंच ने कहा कि अपीलों को सुनवाई के लिए पहले ही जनवरी में सूचीबद्ध किया गया था. हिन्दू महासभा के वकील बारुन कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए बैंच ने कहा, "हम पहले ही आदेश पारित कर चुके हैं. मामले की सुनवाई जनवरी में होगी. याचिका अस्वीकार की जाती है."

बता दें कि अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी थी. जनवरी 2019 में सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

हालांकि कोर्ट ने सुनवाई की तारीखों की घोषणा नहीं की है. तारीखें जनवरी में तय की जाएंगी. बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं.

गौरतलब है कि रविवार को इस मामले को लेकर बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी के घर पर राम मंदिर के पक्षकार धर्मदास ने इंडियन लीग के उपाध्यक्ष फहीम सिद्दीकी और लखनऊ से आए कुछ उलेमाओं से मुलाकात की.

मुलाकात में सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि अयोध्या में अब मंदिर मस्जिद विवाद का अंत होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को जल्दी से जल्दी इस मुकदमे का फैसला करना चाहिए. लेकिन जिस तरह से 3 महीने की लंबी तारीख सुप्रीम कोर्ट ने दी है, उसको लेकर राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा जाएगा जिसमें उनको अपनी निगरानी में सुप्रीम कोर्ट से इस मसले की जल्दी से जल्दी सुनवाई कराने का अनुरोध होगा.