नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपये की मांग की योजना पर आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का “राजकोषीय गणित पूरी तरह से ट्रैक पर है” और ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्वीट किया कि चर्चा के तहत एकमात्र प्रस्ताव आरबीआई के उचित आर्थिक पूंजी ढांचे को स्थापित करना है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “मीडिया में बहुत सी गलत सूचनाएं चल रही हैं। सरकार का राजकोषीय गणित पूरी तरह से ट्रैक पर है। अनुमान लगाया गया है कि आरबीआई को 3.6 या 1 लाख करोड़ रुपये स्थानांतरित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।” आपको बता दें कि काफी समय से आरबीआई और मोदी सरकार के बीच तनातनी की खबरें आ रही हैं। यहां तक की मोदी सरकार ने आरबीआई सेक्शन 7 का इस्तेमाल तक करने की धमकी दे डाली थी। आरबीआई के सेक्शन 7 के तहत आरबीआई केंद्र सरकार के फैसले को मानने के लिए बाध्य होगा। दरअसल खबरें थीं कि मोदी सरकार आरबीआई के रिजर्व को निकालना चाहती थी। इसे लेकर जब विवाद ज्यादा बढ़ा तो सरकार बैकफुट पर आ गई और सफाई दी कि हमने पैसा नहीं मांगा।

सरकार के वित्तीय गणित के बारे में विश्वास व्यक्त करते हुए सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि यह 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए 3.3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का टारगेट रहेगा। वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार का एफडी (राजकोषीय घाटा) 5.1% था। 2014-15 से, सरकार इसे काफी कम करने में सफल रही है। हम वित्त वर्ष 2018-19 को 3.3% के एफडी के साथ समाप्त कर देंगे। सरकार ने वास्तव में 70,000 करोड़ रुपये के बजट बाजार उधार लेने का अनुमान लगाया है।

इस बीच, केंद्रीय बैंक ने सरकार को 30,659 करोड़ रुपये का लाभांश दिया, जो कि पिछले साल दिए गए 65,876 करोड़ रुपये का आधा है, बल्कि जून 2011-12 समाप्त हुए वित्त वर्ष से अब तक का सबसे कम है। रिजर्व बैंक द्वारा नवीनतम लाभांश बजट 2018 में अपेक्षित लाभांश संग्रह का केवल 91 प्रतिशत था।