लखनऊ: फैज़ाबाद और इलाहाबाद का नाम बदले जाने के खिलाफ लखनऊ स्थित पिछड़ा समाज महासभा कार्यालय में बैठक हुई. बैठक में एक स्वर में इसे मूलभूत समस्यओं से भटकाने की ओछी राजनीति कहा गया. इसके खिलाफ जन अभियान चलाए जाने का प्रस्ताव आया.

वक्ताओं ने कहा कि नाम बदलने और मूर्तियों की राजनीति जनता के धन का दुरूपयोग कर रही है. जिलों के नाम बदलने में आने वाले खर्च से उद्योग, बेरोजगारी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा सकता था. पर सरकार का मानसिक दिवालियापन है कि वो जनता के धन का दुरूपयोग कर रही है. बड़े पैमाने पर गुजरात-महाराष्ट्र से यूपी और बिहारी के नाम पर लोगों को मारा पीटा जा रहा है और पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है पर सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है.

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सरकार मनुवादी एजेंडे के तहत इलाहाबाद और फैज़ाबाद का नाम बदल कर चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है. दीपोत्सव के नाम पर करोड़ो रूपए फूंकने वाली योगी सरकार बताए की प्रदेश में जो लोग भुखमरी से मर रहे हैं उनके लिए क्या किया. ऑक्सीजन और दवाओं के आभाव में जहां गरीबों की मौत हो रही हैं वहीँ स्कूलों में अभी तक बच्चों को स्वेटर और जूते भी नहीं मुहैया हो पाए हैं.

नाम बदलने की राजनीति के खिलाफ 11 नवम्बर को लखनऊ स्थित राजनारायण के लोग कार्यालय में फैजाबाद, सुल्तानपुर, इलाहाबाद और आजमगढ़ के साथियों के साथ बैठक कर जनाभियान की रूपरेखा तय की जाएगी. बैठक में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, पिछड़ा समाज महासभा संयोजक एहसानुल हक़ मलिक, डॉ एम डी खान, आल इण्डिया वर्कर्स कौंसिल के संयोजक ओपी सिन्हा, सृजनयोगी आदियोग, शकील कुरैशी, रोबिन वर्मा, बाकेलाल, सचेन्द्र प्रताप यादव, शिव नारायण कुशवाहा, उदयराज शर्मा, प्रणव प्रसाद और राजीव यादव शामिल रहे.