स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी पर मायावती ने साधा निशाना, भाजपा-RSS से की माफ़ी की मांग

लखनऊ: गुजरात में देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण होने के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से माफी की मांग की। बता दें कि गुजरात में सरदार सरोवर बांध के समीप बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके साथ ही यह प्रतिमा अब दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू बन गई है।

मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब उनकी सरकार थी तो उनकी सरकार ने दलित नेताओं की मूर्तियों का निर्माण कराया था जिसे लेकर उनकी और उनकी सरकार की काफी आलोचना की गई। मायावती ने अपने एक बयान में कहा, 'भाजपा और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज से माफी मांगने चाहिए जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर जैसे नेताओं की मूर्तियां स्थापित करने पर इसे फिजूलखर्जी करार दिया था।'

मायावती ने कहा, 'देश के लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि भाजपा यदि वास्तव में सरदार पटेल को पसंद करती है तो उसने गुजरात में जहां वह इतने सालों से सत्ता में है, इससे पहले उनकी विशालकाय मूर्ति स्थापित क्यों नहीं कराई।'

बसपा सुप्रीमो ने पटेल की 143वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि दलित नेता बाबा साहब अंबेडकर की तरह सरदार पटेल भी राष्ट्रवादी नेता थे और उनका काफी सम्मान था। मायावती ने पटेल की मूर्ति का नाम अंग्रेजी में रखने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी नाम पटेल के अनुयायियों को हमेशा परेशान करेगा।

पटेल की यह मूर्ति 300 इंजीनियरों एवं करीब 3000 मजदूरों की अथक परिश्रम का परिणाम है। यह मूर्ति करीब 3000 करोड़ रुपए की लागत से 42 महीनों में बनकर तैयार हुई है। इसकी ऊंचाई अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। सरकार इस स्थान को पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित कर रही है।