क़ुरान की शिक्षा से ही देश में अम्न व शांति संभव : आचार्य उद्धव जी महाराज

जमात ए इस्लामी हिन्द का तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन, विभिन्न धार्मिक गुरुओं का हुआ सम्बोधन

कानपुर: देश के हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने की आज़ादी है, और उसके पास इस पर काम करने की भी पूरी स्वतंत्रता है, इस मामले में किसी भी तरह से किसी के साथ कोई ना इन्साफी नहीं होनी चाहिए। हर किसी को समानता का अधिकार मिलना चाहिए । यह बातें जमात ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने कहीं। मौलाना यहाँ जमात ए इस्लामी हिन्द यूपी पूरब की ओर से होने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।

मौलाना उमरी कहा कि देश में होने वाली एक दो घटनाएँ केवल पीड़ितों तक सीमित नहीं होते हैं बल्कि वो इस बात का संकेत होते हैं कि मुल्क के हालात बेहतर नहीं हैं। आज उनको मारा गया है, कल आप को भी मारा जा सकता है, जब तक देश में कानून का पालन पूर्ण रूप से नहीं होगा तब तक देश में शांति नहीं पैदा हो सकती।
सम्मेलन के आखिरी दिन के पहले सत्र में एक चर्चा 'समाज में बढ़ती नफरत और हिंसा का माहौल, एक चुनौती' शीर्षक पर हुआ, जिसकी अध्यक्षता मौलाना नुसरत अली (उप अमीर जमात ए इस्लामी) ने की।

उद्घाटन समारोह में बोलते हुए मौलाना मोहम्मद अहमद (सचिव जमात ए इस्लामी हिंद) ने कहा कि जो लोग देश में घृणा फैलाना चाहते हैं वे सत्ता में हैं। जिस तरह लिंचिंग की घटनाएं देश में बढ़ रही हैं, गऊ रक्षा के नाम पर हिंसा बढ़ रही है, और इसका शिकार न केवल मुसलमान बल्कि पुना में दलित भी होते हैं। यदि ऐसा ही वातावरण रहा तो देश कैसे विकास कर सकता है, विकास उसी देश का संभव है जहां शांति होगी। उन्होंने कहा कि समाज में घृणा रोकना राज्य की ज़िम्मेदारी है, लेकिन स्थिति यह है कि इस समय अपराधियों को स्वयं राज्य द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति इन त्रासदियों के खिलाफ आवाज उठाता है, या न्याय लाने के लिए बात करता है, तो वे भी मारे जाते हैं। गौरी लंकेश आदि की हत्या इस का उदाहरण हैं।

दिल्ली से आए हुये आचार्य महा मंडलेश्वर कृष्ण सुखा उधव जी महाराज ने कहा कि आज हम मानवता की रक्षा के लिए और लोगों को सम्मान दिलाने के लिय इकट्ठे हुए हैं। उनहों ने कहा कि देश में इतना अत्याचार, हिंसा क्यों हो रहा है, यदि कुरान की शिक्षाओं को विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराकर घर घर वितरण किया जाता और घर घर उसकी शिक्षाओं को फैलाया जाता तो देश की यह हालत नहीं होती। धर्म के ठेकेदारों ने अपने मठों को सजाया लेकिन समाज में शांति फैलाने के लिए कोई महत्वपूर्ण काम नहीं किया। हमें सभी इन्सानों तक शास्त्रों और कुरान की शिक्षाओं को पहुंचाना चाहिए क्यूंकि कुरान में जीवन की हर समस्या का निवारण है। उनहों ने कहा कि हमें ऐसे काम करना चाहिए जिस से कि मानवता भी बची रहे और हमारा देश भी बचा रहे।

प्रोफेसर ज्ञानी रणजीत सिंह (मुख्य ग्रन्थी गुरूद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली) ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम धार्मिक गुरु खुद आपस में प्रेम नहीं करेंगे तो हम कैसे मानवता की बात कर सकते हैं और कैसे इन्सानों में प्यार कैसे बाँट सकते हैं, सब से पहले हमें आपस में प्यार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस समय जो लोग सबसे अधिक नारी-सम्मान की बात कर रहे हैं वही लोग सबसे अधिक रेप कांड में पकड़े जा रहे हैं। अगर सभी शहरों में हर धर्म के लोग एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहते हैं तो अचानक यह सांप्रदायिक झगड़े कैसे शुरू हो जाते हैं, इसका मतलब है कि इसके पीछे किसी और का हाथ है, जो चाहता है कि लोगों को आपस में लड़ा कर अपनी रोटी सेकी जाए।

ईसाई धर्मगुरु डॉक्टर अभिषेक इसहाक ल्याल ने कहा कि हम इस देश में एक गुलदस्ता के विभिन्न फूलों की तरह हैं, गुलदस्ते के सभी फूल एक साथ ही गुलदस्ता में अच्छे लगते हैं, लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि इस गुलदस्ते में केवल एक फूल रहे, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे, क्योंकि हम एक दूसरे से प्यार करते हैं, आज हम जिस मंच पर बैठे हैं, उस पर सब एक साथ बैठे हैं यहाँ एक समानता है किसी को छोटा या बड़ा नहीं दिख रहा है। हम यहां एक भारतीय के रूप में हैं। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे वातावरण में रह रहे हैं जहां नफरत का माहौल दिनों दिन खराब होता जा रहा है, संविधान का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के आने के बाद गरीबी, घृणा बढ़ती जा रही है, घरेलू नफरतों का बोलबाला है, लेकिन इन स्थितियों में भी हमारे पास उम्मीद है और वे उम्मीदें इस देश की शांतिप्रिय जनता हैं।

अध्यक्षता सम्बोधन में मौलाना नुसरत अली (नायब अमीर जमात-ए-इस्लामी हिन्द) ने कहा कि हमें सभी मनुष्यों से प्रेम रखना चाहिए क्योंकि हम सभी इस बात पर विश्वास रखते हैं कि हम एक ही माता-पिता की संतान हैं, इसलिए हम सब भाई भाई की तरह हैं इसलिए हम सबको एक दूसरे के दुख दर्द में शरीक होना चाहिए, लेकिन देश के लिए क्या स्थिति हैं इससे आप सभी परिचित हैं, अब तो बात यहाँ तक पहुँच गई है कि क्षेत्रवाद के आधार पर भी एक दूसरे से घृणा की जाने लगी है। हमारा संविधान एकता की बात करता है लेकिन आज सरकार में जो लोग बैठे हैं वह एकता की जगह यूनीफार्मटी की बात कर रहे हैं, एक भाषा, एक धर्म, एक विचारधारा की बात कर रहे हैं लेकिन विभिन्न धर्मों, भाषा और विचारधारा वाले देश में ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि हमारा दस्तूर हमें अपने धर्म पर पूरी तरह से काम करने की आजादी देता है।

मौलाना नुसरत अली ने कहा कि देश के अपराधियों और हत्यारों को चुनाव लड़ा कर संसद में भेजने की तैयारी कर रहे हैं। गऊ रक्षा के नाम पर, आम आदमी को निर्णय लेने की आजादी दे दी गई है और पुलिस खड़ी तमाशा देखती है। सरकार के इरादे अच्छे नहीं हैं, देश हिटलर की प्रणाली पर चल रही है। मौलाना ने कहा कि हमें इन परिस्थितियों में निराश होने की ज़रूरत नहीं है, हमें अपने भाइयों से प्यार करना चाहिए और उनके साथ अपना रिश्ता रखना चाहिए। आज इस सत्र में विभिन्न धार्मिक नेताओं ने भी अपने संबोधन में यहीं बातें कहीं हैं इसलिए अब इस देश को ऐसे शांतिप्रिय जनता से बहुत सी उम्मीदें स्थापित हैं।

इस के अतिरिक्त चर्चा में सरदार ज्ञानेन्द्र सिंह जी (मुख्य ग्रंथी गुरुद्वारा नाका हिंडोला, लखनऊ), प्रोफेसर मुहम्मद सुलेमान (अध्यक्ष नेशनल लीग कानपुर) ने भी अपनी बातें रखीं।

प्रोग्राम के आखिर में जमात ए इस्लामी हिन्द यूपी पूर्व के सचिव डाक्टर अयाज़ अहमद इसलाही ने इजतेमा आम की क़रार दाद पढ़ कर सुनाई जिस पर सभी ने अपनी सहमति जताई।