नई दिल्ली: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत हथियाने का प्रयास करने को लेकर कांग्रेस ने रविवार (21 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिल्ली उड़ाई और आरएसएस-भाजपा पर इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाया। नेताजी द्वारा स्थापित आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मोदी ने रविवार को लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराया और नेहरू-गांधी परिवार पर बोस जैसे राष्ट्रीय नेता के योगदान की उपेक्षा करने को लेकर निशाना साधा। मोदी के आरोपों पर जवाबी हमला बोलते हुए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया और नेताजी व सरदार पटेल को राजनीति में खींचने को लेकर उनकी कड़ी आलोचना की।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, “इसका एकमात्र कारण प्रधानमंत्री का सातों दिन 24 घंटे राजनीति करने के अंदाज में रहना है और वह नेताजी व आजादी के आंदोलन की विरासत को हथियाने की कोशिश की निराशा में लगातार आरोप लगा रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मोदी जानते हैं कि संघ परिवार ने स्वंतत्रता आंदोलन में कोई भी भूमिका नहीं निभाई है। इसलिए पानी से बाहर निकाली गई एक मछली की तरह वह नेताजी की विरासत को हताशापूर्वक हथियाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें राजनीति में खींच रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “जिनके अपने खुद के विचार व आदर्श नहीं हैं, वे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को हथियाने व श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं और जिनका राष्ट्रीय आंदोलन में कोई योगदान नहीं है, वे कथित तौर पर राष्ट्रवादी बनने का प्रयास कर रहे हैं। आज मोदी ने हताशापूर्वक ऐसा ही करने की कोशिश की है।” मोदी के पूर्व की कांग्रेस सरकारों के नेताजी व सरदार पटेल की विरासत का अनुसरण नहीं करने के आरोपों को खारिज करते हुए सिंघवी ने कहा कि दोनों नेता पूरी तरह सांप्रदायिकता व कट्टरता के खिलाफ थे, जिसे मोदी की मूल विचारधारा -आरएसएस व हिंदू महासभा- समर्थन देती है।

स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है, और अपने इस दावे को साबित करने के लिए सिंघवी ने आरएसएस के तत्कालीन प्रमुख एम.एस.गोलवलकर द्वारा आरएसएस प्रवक्ता कृष्णा राव वाडेकर को भेजे पत्र के अंश का हवाला दिया, जिसमें भारत छोड़ो आंदोलन से संघ को दूर रहने को कहा गया था। कांग्रेस नेता ने कहा, “आज आरएसएस व भाजपा नेताजी के भारत को आजाद कराने उनके सैन्य प्रयासों के लिए प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन उनकी मूल विचारधारा के जनक ने पूरी तरह से इसके खिलाफ काम किया है। जब नेताजी जापान में आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन कर रहे थे और गांधीजी ने भारत छोड़ो का आह्वान किया था तो आरएसएस ने अग्रेजों के साथ हाथ मिला रखा था। हिंदू महासभा ने विनायक सावरकर के नेतृत्व में अंग्रेजी सैन्य बलों के लिए भर्ती शिविर आयोजित किया।”

सिंघवी ने मोदी की सरदार पटेल की विरासत को हथियाने के प्रयास की आलोचना की। उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि यह पटेल ही थे, जिन्होंने आरएसएस को प्रतिबंधित किया था। उन्होंने आरएसएस की विचारधारा को महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया।