नई दिल्ली : इन दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस की अजब-गजब कहानियां सुनने को मिल रही हैं. एक दिन पहले ही संभल जिले में बदमाशों को पकड़ने गई पुलिस की पिस्तौल ने जब ऐन मौके पर जवाब दे दिया तो मुंह से 'ठांय-ठांय' की आवाज निकाल बदमाशों को डराने का प्रयास किया. ताजा मामला हमीरपुर जिले का है, जहां यूपी पुलिस एक कदम और आगे निकल गई. नवरात्र के दौरान कानून और सुरक्षा व्यवस्था में खलल न पड़े, इसके लिए पुलिस ने 31 लोगों का नाम चिन्हित कर उप जिला मजिस्ट्रेट सदर के न्यायालय में उन्हें पाबंद करने की चालानी रिपोर्ट पेश की, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन 31 लोगों में 3 ऐसे लोग शामिल थे जिनका काफी पहले ही निधन हो चुका है.

जानकारी के मुताबिक हमीरपुर नगर कोतवाल शैल कुमार सिंह ने 4 अक्टूबर को नवरात्र में शांति भंग की आशंका के मद्देनजर कुल 31 लोगों को चिन्हित कर उप जिला मजिस्ट्रेट सदर की अदालत में चालानी रिपोर्ट पेश कर पाबंद किए जाने का अनुरोध किया था. सूची में जिन लोगों का नाम था उसमें से नीशू द्विवेदी पुत्र प्रेम नारायण, नन्हे अवस्थी पुत्र देवी शरण और कल्लू पुत्र नामवेद की मौत हो चुकी है. चौंकाने वाली बात यह है कि अदालत ने इस चालानी रिपोर्ट पर वाद संख्या-2266 पंजीकृत कर छह अक्टूबर को बिना परीक्षण किए सीआरपीसी की धारा-111 के तहत पाबंद करने का आदेश निर्गत कर सभी को 10 अक्टूबर को तलब भी कर लिया.

अदालत के आदेश पर जब पुलिस नोटिस तामील करवाने पहुंची तो पता चला कि तीन लोगों की तो पहले ही मौत हो चुकी है. इसके बाद पुलिसकर्मियों के पसीने छूट गए. 'भूतों' का चालान पेश किए जाने का मामला जैसे ही उजागर हुआ, पुलिस अधिकारियों के कान खड़े हो गए. अपर पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने कहा, "नगर पुलिस ने भौतिक सत्यापन नहीं किया और पुराने मामले को ही ताजा दिखाते हुए चालानी रिपोर्ट प्रेषित कर कर दी है, यह बहुत बड़ी गड़बड़ी है. इस मामले की जांच सीओ से कराई जा रही है, जांच रिपोर्ट मिलते ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी". दूसरी तरफ, यूपी पुलिस का यह कारनामा चर्चा का विषय बन गया है. लोग सोशल मीडिया पर चुटकी ले रहे हैं.