नई दिल्ली: मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाकर खुले में शौच से मुक्त करने की योजना में हुए घपले का खुलासा हुआ है। सरकार की तरफ से मिलने वाले पैसे के लालच में गांव के प्रधान और सचिव ने मर चुके लोगों के नाम पर शौचालय आवंटित कर दिया। मामले में खुलासा होने पर स्थानीय लोगों ने हंगामा किया।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए जाने वाले शौचालय के लिए सरकार 12,000 रुपए प्रति परिवार के लिए जारी करती है। इन पैसों के लालच में उत्तर प्रदेश की राजधानी के मलिहाबाद में स्थित दिलावर नगर गांव में प्रधान और सेक्रेटरी ने मिलकर मर चुके लोगों के नाम पर शौचालय का आवंटन दिखाकर पैसा हड़प लिया। मामला खुलने के बाद भी कोई कार्यवाई नहीं हुई।

स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव के प्रधान वाकिल और सचिव अमरदीप की सांठगांठ के चलते कई साल पहले मर चुके गांव के ही कोले हुसैनी और गेंदा के नाम का चेक बनवाकर पैसा निकाल लिया गया। जबकि दोनों ही मृतकों को घपले की भनक तक नहीं लगी।

किसी तरह जानकारी होने पर परिजनों ने मामले की शिकायत ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर और एडीओ से की। लेकिन शिकायत पर कोई कार्यवाई तक नहीं हुई। शिकायत के बावजूद अधिकारियों के कान पर जूं तक न रेंगती देख पंचायत बुलाई गई।

एनबीटी की खबर के अनुसार, मामले का खुलासा शौचायल निर्माण की सूची में मर चुके लोगों के नाम देखने पर हुआ। गांव के कई लोगों ने बताया कि सूची में ब्लॉक के कई लोगों के नाम हैं। इस पर बैंक से जानकारी की तो पैसा तक निकलने की बात पता चली। इसके साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कई लोगों के घर पर शौचालय नहीं बना है जबकि उनके नाम का पैसा बैंक से निकाला जा चुका है। लोगों ने बताया कि जिनके घर शौचालय बन चुके हैं उनसे 2000 रुपए लिए गए हैं।

मामले के तूल पकड़ने पर मुख्य विकास अधिकारी मनीष बंसल ने कहा, मेरी जानकारी में मामला नहीं आया है। हम जांच करेंगे और अगर ऐसा पाया गया तो प्रधान और सचिल के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।

बता दें, शौचालय के लिए जो 12,000 रुपए जारी होते हैं उनमें 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती है जबकि 25 परसेंट रुपया राज्य सरकार की तरफ से जारी होता है। इसके लिए दो किस्तों में पैसा जारी होता है। पहले 6000 और उसके बाद शौचालय तैयार हो जाने के बाद बाकी के 6000 रुपए जारी किए जाते हैं।