नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लागू एक्साइज ड्यूटी में कटौती का फिस्कल डेफिसिट पर नकारात्मक असर हो सकता है और उससे देश की क्रेडिट रेटिंग में कमी आ सकती है। यह बात रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही है। मूडीज की तरफ से एक बयान जारी किया गया, इसमें कहा गया कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती क्रेडिट रेटिंग के लिए नकारात्मक है क्योंकि उससे रिवेन्यू में कमी आएगी और फिस्कल डेफिसिट में बढ़ोतरी होगी। इस साल तीन महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव से कुछ वक्त पहले यह सामने आया है। वहीं अगले साल आम चुनाव भी होने हैं।

मूडीज ने कहा है कि सरकार के उठाए कदमों से 2018-19 में फिस्कल डेफिसिट के जीडीपी के 3.3% से ज्यादा होने का जोखिम होगा। मौजूदा साल में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.4% तक पहुंच सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऑइल मार्केटिंग कंपनियों पर 1-1 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने के दबाव से उनके प्रॉफिट में खासी कमी आएगी। उसने कहा है कि सालाना फिस्कल डेफिसिट अगस्त 2018 में ही बजट में तय लेवल के 94.7% पर पहुंच गया था। मूडीज ने कहा कि कटौती से सरकार के राजस्व में 105 अरब रुपये (1.41 अरब डॉलर) की कमी आएगी। यह भी कहा गया है कि सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय को कम कर सकती है।

मूडीज ने पिछले साल भारत की रेटिंग को अपडेट कर दिया था। पिछले साल रेटिंग को Baa3 से Baa2 कर दिया था। अन्य दो वैश्विक रेटिंग एजेंसियां ​​- स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एंड फिच रेटिंग्स में स्टेबल के साथ भारत की रेटिंग BBB है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते पेट्रोल और डीजल से एक्साइज ड्यूटी में 1.5-1.5 रुपये प्रति लीटर की कमी थी। उसने ऑइल मार्केटिंग कंपनियों से फ्यूल के दाम में 1-1 रुपये प्रति लीटर का कटौती करने के लिए कहा था। इसके साथ ही उसने राज्य सरकारों से वैट में ढाई रुपये प्रति लीटर की कमी करने की अपील की थी। सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 2019 के बाकी महीनों में उसके रेवेन्यू में कुल 10,500 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है।