लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि गुजरात से प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में वापसी संघ-भाजपा के घृणा अभियान और भीड़ हिंसा का नतीजा है। इसके लिए कोई और नहीं, बल्कि संघ-भाजपा और उनकी नफरत की राजनीति मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि इस मामले में यूपी के मुख्यमंत्री का व्यवहार शर्मनाक है। उनके वक्तव्य से लगता नहीं कि वे उत्तर प्रदेश की जनता के मुख्यमंत्री हैं। यूपी के मजदूरों पर गुजरात में हो रहे हमलों, उन्हें अपमानित करने व मजबूरन राज्य से वापस जाने को रोक पाने में गुजरात सरकार की विफलता पर प्रधानमंत्री से विरोध जताने की जगह वे अभी भी गुजरात मॉडल की डफली बजाए जा रहे हैं।

माले नेता ने कहा कि गुजरे चार सालों में गुजरात मॉडल की हवा निकल चुकी है, जिसे केंद्र कर 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने विकास का भ्रमजाल रचा। हकीकत यह है कि मोदी के गुजरात मॉडल में राज्य के युवाओं को सम्मानजनक रोजगार तक उपलब्ध नहीं है। बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं का आक्रोश कहीं सरकार की विफलता के विरुद्ध न केंद्रित हो जाये, इसलिए भगवा ब्रिगेड ने इस आक्रोश को प्रवासी मजदूरों को 'बाहरी' होने का लेबल लगाकर उनके खिलाफ मोड़ दिया है। यह झूठ भी फैलायी जा रही है कि दिवाली-छठ जैसे त्योहारों के चलते ये मजदूर राज्य से वापस हो रहे हैं, जबकि ये त्योहार अभी करीब महीने भर दूर हैं।

राज्य सचिव ने कहा कि नफरत व हिंसा की रराजनीति गुजरात में कोई पहली बार नहीं हो रही है। अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2002 में, दलितों के खिलाफ उना की घटना में और इस बार प्रवासी मजदूरों के खिलाफ नफरत और हिंसा फैलायी गयी है।

माले नेता ने कहा कि संघ-भाजपा को 'आंतरिक दुश्मन' ढूंढने में महारत हासिल है। अपनी सरकारों की सभी मोर्चों पर विफलता, चाहे पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को रोकने या बढ़ती बेरोजगारी या फिर किसानों में बढ़ रहे गुस्से को रोकने में विफलता हो – इससे ध्यान हटाने के लिए भाजपा सरकारें हर दिन नए दुश्मन गढ़ रही हैं- 'राष्ट्र-विरोधी', 'अर्ध माओवादी', 'शहरी न नक्सली', 'बांग्लादेशी घुसपैठिया' आदि। यह सूची बढ़ती ही जा रही है, जिसमें अब उत्तर भारत के प्रवासी मजदूर भ जुड़ गए हैं।

माले राज्य सचिव ने यूपी, बिहार की सरकारों से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक की चुप्पी और जनता के बजाय सरकार को बचाने की इनकी कोशिशों को देखते हुए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की अपील की है, ताकि गुजरात से प्रवासी मजदूरों की वापसी, मान-सम्मान और रोजी-रोटी पर हो रहे हमलों को रोका जा सके।