लखनऊ : उ0प्र0 सरकार की नीति विहीन, अलोकतांत्रिक, असंवेदनशील व भ्रष्ट
कार्यप्रणाली जीवन सुरक्षा एवं संरक्षण में विफल व ध्वस्त हो चुकी कानून
व्यवस्था प्रदेश सरकार की वर्तमान व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर
रही है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डाॅ0 उमा शंकर पाण्डेय ने आज जारी बयान में
कहा कि योगी सरकार ने प्रदेश को एक मध्य युगीन मूल्यों एवं स्वातंत्र
विरूद्ध दासता आधारित समाज में तब्दील कर दिया है जिसमें सूर्यास्त के
बाद हम अपनी बहन, बेटियों के साथ बाहर नहीं निकल सकते। बाहर निकलते ही
हमारे पवित्र रिश्तों को नियंत्रित व कलंकित करने का कार्य राज्य सरकार
और उसकी पुलिस कर रही है। इस अराजक माहौल में विधि व संविधान का शासन
संभव नहीं जान पड़ता।

एक तरफ प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है दूसरी तरफ विभिन्न विभागों
में कार्यरत सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी अवसादग्रस्त हो आत्महत्या कर
रहे हैं। यह विरोधाभास योगी सरकार की नीतिविहीन जनविरोधी निर्णयों का
परिणाम है। योग्यता के स्थान पर जब व्यक्तिगत पसन्द व नापसन्द अधिकारियों
के कार्य निर्धारण के आधार व कारक बन जाते हैं तो योग्यता अवसाद और
अयोग्यता बुलेट व भय बनकर विवेक तिवारी की जान लेती है और हमारे नागरिक
समाज को इसी प्रकार आतंकित करने लगते हैं।

एटीएस के एडिशनल एसपी स्व0 राजेश साहनी की मौत हो, ललितपुर जनपद के
एसडीएम हेमेन्द्र काण्डपाल की आत्महत्या हो, हैदरगढ़ जनपद बाराबंकी में
तैनात सिपाही मोनिका की आत्महत्या का मामला हो। ये सभी मामले तो मात्र एक
बानगी हैं। ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है और यह मौजूदा सरकारी तंत्र की
व्यवस्था का दोषपूर्ण होना साबित करता है। स्थिति यह है कि सिपाही को
इंसपेक्टर परेशान कर रहा है, इंसपेक्टर को एस.पी. और एस.पी. को आई.जी. और
आई.जी. को डी.जी. और डी.जी. को शासन। इसी प्रकार दूसरे विभागों में भी
यही स्थिति है।

एक न्यूज चैनल समाचार प्लस के डिबेट में पुलिस विभाग कानपुर में कार्यरत
एक सिपाही ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि नीचे से लेकर ऊपर तक
वसूली होती है और मुख्यमंत्री तक पहुंचता है। उसने बताया है कि हम सभी
अवसादग्रस्त हैं। उसने यह भी बताया कि ईमानदार अधिकारी किनारे किए जा रहे
हैं और भ्रष्ट अधिकारी आगे लाए जा रहे हैं। सरकार की एनकाउण्टर प्रणाली
में पुलिस में आम लोगों की हत्या करने का एक हथियार थमा दिया है जिसका
ज्वलन्त उदाहरण सिपाही द्वारा स्व0 विवेक तिवारी की हत्या है।

सरकार ऐसी जघन्य घटनाओं को रोकने के लिए बिल्कुल गंभीर नहीं है और
प्रदेश का शासन निरन्तर दयनीय हालत में पहुंच रहा है। कानून व्यवस्था की
स्थिति ऐसी है कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों में तैनात वरिष्ठ अधिकारी की यदि इस
प्रकार से निर्मम हत्या होगी तो सरकार की इन्वेस्टर्स समिट का कोई लाभ इस
प्रदेश को नहीं मिल पायेगा। ऐसी ही चिन्ता ऐसोचैम के अध्यक्ष एवं अन्य
कम्पनियों ने व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़ा
राज्य है लगभग 22 करोड़ जनता यहां निवास करती है अगर सरकार ने
गंभीरतापूर्वक कानून व्यवस्था पर लगाम नहीं कसी तो प्रदेश में भयावह
स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।