नई दिल्ली: राफेल डील पर तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच फ्रांस में पीएम मोदी द्वारा राफेल डील करने से करीब 17 दिन पहले दसाल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह भारतीयवायुसेना प्रमुख और एचएएल अध्यक्ष की उपस्थिति में कह रहे हैं कि राफेल डील पर बातचीत अंतिम चरण में हैं और अनुबंध पर जल्द ही हस्ताक्षर हो जाएंगे.

इस वीडियो में एरिक ट्रैपियर कह रहे हैं, “एक साथ भविष्य निर्माण की बात भी हमारे मन में है. प्रसिद्ध एमएमआरसीए कार्यक्रम और 2007 में जारी आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के कारण हमें बड़ी सफलता मिली. साल 2012 में राफेल का चुनाव प्रतिस्पर्धा की मांग के बाद किया गया था. अब राफेल अगला तार्किक कदम है. उत्कृष्ट कार्य और कुछ चर्चा के बाद आप मेरी महान संतुष्टि को सुनने की कल्पना कर सकते हैं कि आईएएफ प्रमुख (इंडियन एयरफोर्स चीफ) एक ओर कॉम्बेट प्रूवेन एयरक्राफ्ट विमान चाहते हैं, जो राफेल हो सकता है, और हम इस पर हस्ताक्षर करेंगे क्योंकि अगला कदम तार्किक होना चाहिए. तो दूसरी तरफ एचएएल चेयरमैन कहते हैं कि इस प्रतियोगिता के नियमों के अनुरूप होने के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के साथ अपनी जिम्मेदारियों को साझा करने और अनुपालन करने के लिए सहमत हैं. मुझे दृढ़ विश्वास है कि इस अनुबंध को अंतिम रूप जल्द दे दिया जाएगा और इस पर हस्ताक्षर भी जल्द हो जाएगा."

राफेल डील पर पूरे देश में उस समय हंगामा मच गया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में बताया कि अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था. उनके पास और कोई विकल्प नहीं था. ओलांद के खुलासे के बाद एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. यूपीए सरकार जब पहली बार फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविएशन से राफेल विमानों की खरीद को लेकर बातचीत कर रही थी तभी हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटिड (HAL) और दसाल्ट के बीच भारत में इन जंगी विमानों के उत्पादन को लेकर ‘गंभीर मतभेद’ थे. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है.