नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राफेल करार की जांच कराने की कांग्रेस की मांग खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि ‘‘बार-बार झूठ दोहराने वाले’’ विपक्षी पार्टी के एक ‘‘गलत जानकारी वाले’’ नेता के अहं को तुष्ट करने के लिए जांच गठित नहीं की जा सकती। प्रसाद ने यह भी कहा कि पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी को आठ साल तक पद पर रहने के बाद भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को लचर स्थिति में रखने को लेकर काफी जवाब देना है। एचएएल को राफेल लड़ाकू विमानों के फ्रांसीसी निर्माता का आॅफसेट साझेदार बनना था।

उन्होंने पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं नहीं समझता कि गलत जानकारी वाले एक ऐसे नेता के अहं की तुष्टि के लिए जेपीसी या सीएजी जांच गठित की जाती है जो खतरनाक निरंतरता के साथ झूठ दोहराता है।’’ प्रसाद ने यह प्रतिक्रिया तब जाहिर की जब कांग्रेस नेताओं ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से मिलकर राफेल करार में कथित अनियमितता और एचएएल को आॅफसेट अनुबंध एवं प्रौद्योगिकी अंतरण से बाहर रखे जाने की जांच कराने की मांग की। कांग्रेस इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की भी मांग कर रही है।

उन्होंने कहा कि आॅफसेट नियम तय किए जाने के समय एंटनी रक्षा मंत्री के पद पर थे। मौजूदा रक्षा मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण ने इन नियमों को तो बस मूर्त रूप दिया है।
भारत की आॅफसेट नीति के तहत विदेशी रक्षा कंपनियों को अपने कुल अनुबंध मूल्य का कम से कम 30 फीसदी भारत में खर्च करना है। शोध एवं विकास सुविधाओं की स्थापना या उपकरणों की खरीद में इसे खर्च करने का प्रावधान है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जहां तक संयुक्त संचालन का सवाल है, वह (एंटनी) ऐसे मंत्री थे जिन्होंने एचएएल को बेसहारा छोड़ दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो हैरत हो रही है कि रक्षा मंत्री के तौर पर एंटनी के आठ साल के कार्यकाल के दौरान भारतीय बलों के आधुनिकीकरण और सशक्तिकरण के लिए कुछ नहीं किया गया (और अब वह इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं)।’’ प्रसाद ने कहा कि भारतीय वायुसेना को विमानों की सख्त जरूरत है, क्योंकि पुराने विमान बार-बार हादसे का शिकार हो रहे हैं।