रवीन्द्रालय लान में नीरज को समर्पित राष्ट्रीय पुस्तक मेला शुरू राज्यपाल नेकिया उद्घाटन

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज रविन्द्रालय प्रागंण में आयोजित ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2018’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधि मंत्री श्री बृजेश पाठक, कवि श्री सुनील जोगी, कवि श्री सर्वेश अस्थाना, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता श्री राजेश त्रिपाठी, पुस्तक मेला के आयोजक श्री देवराज अरोरा व बड़ी संख्या में साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। 5 से 14 सितम्बर तक चलने वाला पुस्तक मेला स्वर्गीय कवि गोपाल दास ‘नीरज’ को समर्पित है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘मैंने पुस्तक मेला उद्घाटन कार्यक्रम मांग कर लिया है। समाचार पत्रों में पढ़ा कि आयोजक ने राज्यपाल राम नाईक को उद्घाटन के लिये आमंत्रित किया है। मुझे उनका पत्र नहीं मिला जबकि राजभवन काफी करीब है। मैंने आयोजक को फोन किया। राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, पिछले चार वर्षों से मैं मेले का उद्घाटन कर रहा हूँ। पांचवें मेले में न आता तो मेरा रिकार्ड टूट जाता। अगले वर्ष मैं राज्यपाल रहूं न रहूं पर मेरी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!! मेरी उपस्थिति दर्ज कराती रहेगी। मेरी मराठी पुस्तक का पांच भाषाओं हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती और संस्कृत में अनुवाद हो चुका है तथा निकट भविष्य में यह जर्मन, अरबी, फारसी एवं सिंधी में भी प्रकाशित होगी।’

श्री नाईक ने कहा कि लखनऊ की विशेषता है कि यहाँ 8 राज्य विश्वविद्यालय हैं, 5 निजी विश्वविद्यालय हैं, 1 केन्द्रीय विश्वविद्यालय है तथा 1,200 महाविद्यालय हैं। ऐसे में पुस्तक मेला ज्ञान बढ़ाने में सहायक है। पुस्तकें खरीदकर पढ़ें क्योंकि उससे लेखक और प्रकाशक दोनों को चेतना और उत्साह मिलता है।

सांस्कृतिक जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है। कुछ लोगों का कहना है कि पठन संस्कृति को ग्रहण लग रहा है, जबकि वास्तव में किताबें कभी अकेलापन नहीं महसूस होने देती हैं। पुस्तक मेले में अलग-अलग भाषाओं की किताबें मिलती हैं। भाषाएं एक-दूसरे को जोड़ती हैं। यह पुस्तक मेले में देखने को अच्छे ढंग संे मिलता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला ज्ञान बढ़ाने में सहायक होता है।

राज्यपाल ने कवि स्वर्गीय गोपाल दास ‘नीरज’ को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि उनकी कविता बहुत श्रेष्ठ होती थी तथा उनके गीत भी बहुत लोकप्रिय है। गोपाल दास ‘नीरज’ ने पांच दशक तक कविता के मंच पर राज किया। कालजयी रचनाएं उन्हें सदा जीवित रखेंगी तथा लोग उनकी रचनाओं से साहित्य का महत्व समझेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों आपस में मित्र थे और कविता के कारण उनमें जुड़ाव था। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था और उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में समाज की सेवा की।

इस अवसर पर विधि मंत्री श्री बृजेश पाठक ने कहा कि पुस्तकों का अपना महत्व है। मेले में एक ही पंडाल के नीचे विभिन्न प्रकार की रूचि रखने वालों की पुस्तक मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक व पुस्तक मेला ज्ञान का स्रोत हैं।

इससे पहले बिंदु जैन के संचालन में चले समारोह में अतिथियों का स्वागत कवि सर्वेश अस्थाना ने किया। सह संयोजक डा.सुनील जोगी ने मेले की विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा कि पुस्तक समाज आज संकट के दौर में है जबकि, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेशधर त्रिपाठी ने आह्वान किया कि मेले में आकर किताबें खरीदें ही नहीं, पढ़ें और पढ़ाएं भी। आभार व्यक्त करते हुए संयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि मौसम अनुकूल न होने पर भी प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों में उत्साह दिखाई दे रहा है। मेले में प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत तक का बिक्री में इजाफा होता है। मेले में स्टाल भले ही बहुत ज्यादा न हों पर गागर में सागर भरने जैसा काम करने वाले इस पुस्तक मेले मंे सभी प्रमुख प्रकाशकों की पुस्तकें लोगों को सुलभ होंगी। प्रमुख प्रकाशकों में प्रभात, राजकमल, राजपाल, सम्यक, लोक भारती प्रकाशन, ओशो दर्शन, साहित्य भण्डार, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, भारतीय कला परिषद, वैज्ञानिक-तकनीकी शब्दावली आयोग, पब्लिकेशन डिविजन, एनसीपीयूएल, गौतमबुक सेण्टर, क्रिएटिव साइन्टिफिक एडस्, राजबुक कम्पनी, विधि बुक्स, उर्दू अकादमी, उ.प्र. व दिल्ली, पीएम पब्लिकेशन, शेखर बुक सेण्टर, सुभाष पुस्तक भण्डार, किड्स फैक्ट्री, सामायिकी प्रकाशन, गिडियन्स इत्यादि शामिल हैं।

साहित्यिक कार्यक्रमांे में आज धीरज मिश्र के संयोजन, राम राय राणा के संचालन व डा.आशुतोष बाजपेयी की अध्यक्षता में हुए कवि सम्मेलन में संजय मिश्रा शौक, सरर लखनवी, दर्द लखनवी, राजेन्द्र पण्डित, हितेश शर्मा, मुकेश मिश्र, निधिमोहन कटियार, विशाल श्रीवास्तव, राजेन्द्र द्विवेदी, प्रज्ज्वल नीरा, कार्तिक मिश्र, अभिनव मिश्र व आदित्य चावला सामयिक विषयों पर कवियों ने रचनाएं पढ़ने के लिए आमंत्रित थे। इस शृंखला में अब मेला समापन तक पुस्तकों के लोकार्पण, संगोष्ठी, विचारगोष्ठी, कवि सम्मेलन, मुशायरा का अनवरत क्रम चलेगा। विशिष्ट कार्यक्रमों में गीत ऋषि गोपालदास नीरज को समर्पित कई साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों का कवि सम्मेलन, निरंकारी मिशन सत्संग और नवांकुर कवियों की नये हस्ताक्षर काव्य प्रतियोगिता होगी। हमेशा की तरह पुस्तक मेले में स्थानीय लेखकों के लिए अलग से निःशुल्क स्टाल की व्यवस्था भी रहेगी।