मुंबई: शिवसेना ने आरबीआई की एक रिपोर्ट के मद्देनजर शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी के जरिए देश को वित्तीय अराजकता में डालने के लिए कौन-सा प्रायश्चित करेंगे. दरअसल, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चलन से बाहर किए गए 99.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस लौट आए हैं.

शिवसेना ने कहा कि नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया, उद्योग प्रभावित हुए, आजादी के बाद से पहली बार रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया और सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन अब भी देश के शासक विकास की शेखी बघार रहे हैं.

पार्टी के मुखपत्र सामना में शुक्रवार को एक संपादकीय में कहा गया है, ‘चूंकि नोटबंदी ने देश को वित्तीय अराजकता में डाल दिया, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से किए गए वादों को लेकर कौन-सा प्रायश्चित करेंगे? नोटबंदी की कवायद लोकप्रियता हासिल करने के लिए की गई.’

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी नवंबर 2016 में गोवा में दिए मोदी के भाषण का जिक्र कर रही थी, जहां प्रधानमंत्री ने लोगों से 50 दिन तक उनके साथ सहयोग करने की अपील की थी और कहा था कि यदि उनके इरादे गलत पाए गए तो वह देश द्वारा दी जाने वाली कोई भी सजा भोगने को तैयार हैं.

शिवसेना ने कहा कि नोटबंदी ने देश के लिए परेशानियां खड़ी की. पार्टी ने कहा, ‘देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े फैसले जल्दबाजी में नहीं लेने चाहिए. नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया, जिस पर रिजर्व बैंक ने भी मुहर लगाई.’

पार्टी ने कहा, ‘मोदी ने कहा था नोटबंदी का मतलब भ्रष्टाचार, काला धन और जाली नोटों को हमेशा के लिए खत्म करना है. हालांकि, पिछले दो वर्षों में ये सभी चीजें बढ़ गई. ये दावे भी खोखले साबित हुए कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां खत्म हो जाएंगी और घाटी में शांति स्थापित होगी.’

भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि नोटबंदी के कारण छोटे उद्योग, आवासीय और सेवा क्षेत्र बर्बाद हो गए, किसानों को काफी सहन करना पड़ा और लोगों को दो महीनों तक बैंकों के बाहर लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ा. पार्टी ने दावा किया कि इन कतारों में 100 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी.

पार्टी ने आरोप लगाया कि नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी. सरकारी खजाने को नए नोट छापने में 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. एटीएम में तकनीकी बदलावों पर 700 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. नए नोटों के वितरण पर भी 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े.

शिवसेना ने कहा, ‘यह सरकारी खजाने की लूट है. आरबीआई गवर्नर ने इस लूट को रोका नहीं, जिसके लिए उन्हें अदालत के सामने पेश किया जाना चाहिए. आरबीआई का काम अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है और मौजूदा सरकार में वह मतवाले बंदर की तरह हो गया है.’

पार्टी ने कहा, 'कालेधन का कोई अंबार नहीं लगाता और नोटबंदी से यह पैसा खत्म नहीं हो सकता, यह बहुत ही आसान-सा अर्थशास्त्र है. जिनकी समझ में यह नहीं आया उन्होंने पूर्व मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाया, मगर अब सच सामने आ गया है.’