चेन्नई: एम.के.स्टालिन को मंगलवार को पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक में निर्विरोध द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) का अध्यक्ष चुना गया। स्टालिन द्रमुक के दूसरे अध्यक्ष हैं। यह पद उनके पिता व पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम.करुणानिधि के निधन से खाली हुआ था। उनके दिवंगत पिता एम.करुणानिधि पार्टी के अध्यक्ष के पद पर 49 सालों तक बने रहे। करुणानिधि का 7 अगस्त 2018 के निधन हो गया था।

जबकि, दुरई मुरुगन को डीएमके के कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। बैठक में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी, पूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला और पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान को श्रद्धांजलि देकर दो मिनट के लिए मौन रखा गया।

उनके दिवंगत पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री करणानिधि के बीमार रहने के कारण अधिकांश समय घर में ही बिताने पर स्टालिन को जनवरी 2017 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। करुणानिधि के इसी महीने निधन हो जाने के बाद उनको पार्टी अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नत करना अनिवार्य हो गया था।

द्रमुक से निष्कासित नेता एम. के. अलागिरी ने अपने छोटे भाई एम. के. स्टालिन की पार्टी अध्यक्ष पद पर ताजपोशी से एक दिन पहले अपना रुख कड़ा करते हुए कहा कि वह पांच सितंबर को प्रस्तावित मार्च करेंगे और यदि उन्हें पार्टी में दोबारा शामिल नहीं किया गया तो पार्टी को नतीजे भुगतने होंगे।

दक्षिणी तमिलनाडु में अच्छा-खासा प्रभाव रखने वाले अलागिरी बीते सात अगस्त को अपने पिता एम. करुणानिधि के निधन के बाद से ही सख्त रुख अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कार्यकर्ताओं की इच्छा के अनुरूप चेन्नई में रैली का आयोजन करने वाले हैं।

साल 2014 में करुणानिधि की ओर से पार्टी से निकाले जाने के बाद से अलागिरी राजनीतिक एकांतवास में हैं। उन्हें पार्टी से उस वक्त निकाला गया था जब पार्टी में वर्चस्व कायम करने को लेकर स्टालिन से उनकी लड़ाई चरम पर थी।