नई दिल्ली: असम में नेशनल रजिस्‍ट्रर ऑफ स्‍टीजन (एनआरसी) के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को SOP पर विभिन्न हितधारकों के विचार मांगे है. कोर्ट ने साफ किया कि SOP को लेकर किसी भी राजनीतिक दलों के सुझाव नहीं सुने जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और ऑल असम माइनॉरटी स्टूडेंट यूनियन और जमायत-ए उलेमा हिंद से SOP पर उनके विचार मांगे हैं. वह अपने विचार 25 अगस्त तक दाखिल करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडनेटर प्रतीक हजेला से असम के हर जिले में NRC से बाहर हुए लोगों का फीसदी मांगा. हजेला ये ब्यौरा सील कवर में दाखिल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 30 अगस्त तक दावे और आपत्तियां शुरू होंगे. कोर्ट ने हजेला को कहा कि वो NRC मसौदा की प्रतियां पंचायत ऑफिस और अन्य दफ्तरों में रखें ताकि लोग इसे देख सकें. इस मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त अगली सुनवाई होगी.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने AG के के वेणुगोपाल से कहा कि हमने SOP को देखा है और अब आपको इस संबंध में हितधारकों (स्टेकहोल्डर) से बात कर उनके विचार जानने चाहिए, लेकिन इस मामले में हितधारक कौन होंगे? NRC कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने कहा कि असम सरकार ने 2011-2013 तक इस प्रक्रिया पर काम किया था और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से बातचीत की थी. मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल किया था। NRC के मसौदे में 40 लाख लोगों के दावों और आपत्तियों के निपटारे के लिए SOP सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था.

NRC में छोड़े गए लोगों की आशंका को खारिज करते हुए केंद्र ने कहा कि अंतिम NRC दावों की सुनवाई के बाद जारी होगा और आपत्तियों को उचित प्रक्रिया के बाद इसे पूरा किया जाएगा. यह कहा गया है कि दावों की जांच करने वाले अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरतेंगे कि अंतिम एनआरसी में कोई अवैध व्यक्ति का नाम शामिल नहीं है. अपने हलफनामे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि गैर-समावेश के कारणों के बारे में लोगों को सूचित करने की प्रक्रिया 10 अगस्त को शुरू की गई थी. 30 अगस्त से 28 सितंबर तक दावे और आपत्तियां प्राप्त की जाएंगी. फॉर्मों का डिजिटलीकरण और प्रसंस्करण 15 सितंबर से 20 नवंबर तक लिया जाएगा. 20 से 30 नवंबर तक एनआरसी में छोड़े गए प्रत्येक व्यक्ति को नोटिस जारी किए जाएंगे और सुनवाई 15 दिसंबर से शुरू होगी और निपटान के लिए समय सीमा केवल तभी तय की जा सकती है जब प्राप्त दावों/आपत्तियों की वास्तविक संख्या ज्ञात हो. ये SOP दावा दायर करने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है और पहचान साबित करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज कैसे दर्ज कर सकता है.

असम के पूरे राज्य में अब 55,000 प्रशासनिक अधिकारी दावों और आपत्तियों से निपटने के लिए लगे रहेंगे. दावों और आपत्तियों, नोटिस और सुनवाई जारी करने के चरण के दौरान पर्याप्त समय दिया जाएगा ताकि अधिकारियों द्वारा उचित परीक्षण किया जा सके. इसमें कहा गया है कि सुनवाई के दौरान असम सरकार ने कहा था कि भारत के विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सहयोग से एनआरसी के सभी आवेदकों के बॉयोमीट्रिक नामांकन की प्रक्रिया करेगी। दावेदारों को उनके दावे को साबित करने के लिए सुनवाई में शामिल होने के सबूत लाने की आवश्यकता होगी. वे उनके साथ ऐसे अन्य व्यक्तियों को भी लाएंगे, जिनके मौखिक साक्ष्य उन्हें प्रमाणित करने के लिए स्वीकार्य हैं। इसमें कहा गया है कि शामिल करने या बहिष्कार का अंतिम निर्णय उन अधिकारियों द्वारा लिया जाएगा जो मुहर और हस्ताक्षर के तहत एक आदेश को रिकॉर्ड करेंगे.