नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माण में सहयोग करता है. उन्होंने कहा कि आज हम एक निर्णायक दौरे से गुजर रहे हैं, इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम लक्ष्य को भटकाने वाले मुद्दों से न भटकें. हमारे देश में बदलाब और विकास तेजी से हो रहा है और इसकी चारों ओर प्रशंसा भी की जा रही है. उन्होंने कहा कि जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में गांधी को सम्मान दिया जाता है. हमें उनके आदर्शों को समझना होगा. गांधी जी ने चंपारण में स्वच्छता अभियान शुरू किया. उन्होंने स्वच्छता को स्वास्थ्य और स्वाधीनता के लिए अहम माना था. गांधीजी के लिए स्वाधीनता का मतलब देश की आजादी ही नहीं था, बल्कि हर गरीब आदमी मजबूत हो, स्वस्थ्य हो, यह उनका मानना था. उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं. वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्‍चित करते हैं.

देश की आधी आबादी के महत्व पर रोशनी डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है. कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है. यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतन्त्रता में देखी जा सकती है. महिलाओं को अपने ढंग से जीने और अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए.

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्‍चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों. जब हम महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में गैस कनेक्शन पहुंचाते हैं और इस प्रकार महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं.

नौजवानों को आह्वान करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'अनेक विश्वविद्यालयों में अपने संवादों के दौरान, मैंने विद्यार्थियों से यह आग्रह किया है कि वे साल में चार या पांच दिन किसी गांव में बिताएं. यू.एस.आर यानी ’यूनिवर्सिटीज़ सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी’ के रूप में किए जाने वाले इस प्रयास से विद्यार्थियों में अपने देश की वास्तविकताओं के बारे में जानकारी बढ़ेगी. उन्हें सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे. इस पहल से विद्यार्थियों को भी लाभ होगा और साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी मदद मिलेगी.'