नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहाई की मांग करने वाली तमिलनाडु सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. सरकार का तर्क था कि 1991 में राजीव गांधी की हत्या की वजह से पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर रुक गई थी. तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को सजा पूरी होने से पहले रिहा करने की याचिका दायर की थी.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि तमिलनाडु सरकार के निवेदन पर सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए ऐसा कहा है.

कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब को रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है और अब मामले की सुनवाई की जाएगी. इस साल जनवरी में कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने का समय दिया था ताकि वो तमिलनाडु सरकार द्वारा भेजे गए पत्र पर फैसला ले सकें. 18 अप्रैल को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के निवेदन को ठुकरा दिया था.

तीन पेज के लिखे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह काफी घृणित अपराध था जिसकी वजह से उस वक्त लोकसभा और कुछ राज्यों में होने वाले चुनावों को टालना पड़ा.

उस वक्त कोर्ट ने भी कहा था कि यह बहुत घृणित अपराध है. गृह मंत्रालय ने कहा कि अपराधियों को समय पूर्व रिहा किए जाने की वजह से एक गलत संदेश जाएगा और इस तरह के अपराध को बढ़ावा मिलेगा. इसलिए केंद्र सरकार अपराधियों को रिहा किए जाने की राय से सहमत नहीं है. बता दें कि सातों अपराधी इस वक्त उम्रकैद की सज़ा भुगत रहे हैं.