‘मियां का बाड़ा’ हुआ महेश नगर, इस्माइलपुर हुआ पिछवां खुर्द

नई दिल्ली: गुरुवार को राजस्थान सरकार ने औपचारिक तौर पर तीन गांवों के नाम बदलने की घोषणा कर दी। तीन दिन पहले ही तीनों गांव के नाम बदलने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिली है। अब से बाड़मेर जिले के मियों का बाड़ा गांव को महेश नगर नाम से जाना जाएगा। जालौर जिले का नरपादा गांव अब नरपुरा कहलाएगा जबकि झुंझुणू जिले में आने वाला इस्माइलपुर अब पिछवां खुर्द के नाम से जाना जाएगा। कथित तौर पर इस्लामिक सुनाई देने वाले इन गांवों का नाम बदलने की कवायद भी अब विवादों के घेरे में आ गई है। इसे भी यूपी में मुगलसराय रेलवे जंक्शन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन करने की कवायद की अगली कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गृह मंत्रालय को गांवों का नाम बदलने का प्रस्ताव इसी साल की शुरूआत में भेजा था। इससे पहले संबंधित एजेंसियों ने गांव का नाम बदलने को मंजूरी दे दी थी। यद्यपि सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिए गए इस फैसले के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। हालांकि स्थानीय नागरिक और अधिकारियों में इस संबंध में अलग—अलग कारणों पर चर्चा हो रही है। विपक्ष ने भाजपा सरकार पर वोटरों के ध्रुवीकरण और दो समुदायों के बीच अलगाव पैदा करने की कोशिश का आरोप लगाया है।

सूत्रों के मुताबिक, नाम बदलने का फैसला इन गांवों के स्थानीय नागरिकों की शिकायत के बाद लिया गया। गांव के लोगों ने इस्लामिक नाम होने की शिकायत की थी। उदाहरण के लिए, मियों का बाड़ा गांव, 2000 की आबादी वाला हिंदू बहुल गांव है। इस गांव में सिर्फ चार परिवार ही मुसलमानों के हैं। एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि स्थानीय लोग इस बात की शिकायत कर रहे थे कि नाम की वजह से गांव के लोगों के पास विवाह के प्रस्ताव नहीं आते थे। ये भेदभाव आसपास के गांव के लोग भी सिर्फ गांव के नाम की वजह से किया करते थे।

हालांकि, बाड़मेर जिले के सिवाना से भाजपा विधायक हमीर सिंह भायल ने दावा किया कि मियों का बाड़ा गांव का नाम बदलने का प्रस्ताव 10 साल पुराना है। इसका नाम बदलकर महेश नगर इस वजह से किया गया है क्योंकि गांव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर मौजूद है। इससे पहले भी इस जगह को महेश नगर ही कहा जाता था। लेकिन देश में मुगलों का राज होने के बाद और लोगों का विस्थापन हो जाने के कारण इसे मियों का बाड़ा कहा जाने लगा।