इंडस्ट्री से आई कुछ ताजा रिपोट्र्स का कहना है कि 15.6 करोड़ भारतीय, जो ‘अरबन मास’ और ‘अरबन मिडिल’ सेक्शन में शामिल किए जाते हैं, 3000 या इससे अधिक डॉलर की वार्षिक आय का प्रतिनिधित्व करते हैं। आबादी के इस वर्ग के बड़े पैमाने की ओर से उपभोक्ता ऋण लिए जाने की संभावना बनती है। इसमें से ‘अरबन मास’ की लगभग 12.9 करोड़ की आबादी ने पहले कभी उधार नहीं लिया है और इसलिए उनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, ऐसे में कर्ज देने वाले पारम्परिक संस्थान, उन्हें कर्ज देने से बचते हैं।

इस प्रमुख चिंता को संबोधित करते हुए एंटरप्रेन्योर और प्राइवेट इक्विटी निवेशक श्री वी रमन कुमार की ओर से समर्थित भारत की अग्रणी डिजिटल लेंडिंग कंपनी कैशई ने आज भारत की पहली वैकल्पिक क्रेडिट रेटिंग प्रणाली – सोशल लोन क्वोशंट (एसएलक्यू) के लॉन्च की घोषणा की।

एसएलक्यू, भारत का पहला सामाजिक व्यवहार-आधारित क्रेडिट-रेटिंग सिस्टम है। इसका तेज, बेजोड़ और लीक से हटकर रीयल टाइम प्लेटफार्म बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पूर्वानुमान की मदद लेता है। यह प्लेटफार्म उन लाखों भारतीयों को ऋण लेने में मदद करेगा, जो क्रेडिट हिस्ट्री की अनुपस्थिति के चलते उपभोक्ता ऋण से वंचित रह जाते हैं।

इसमें उस युवा शहरी आबादी को ध्यान में रखा गया है जो थोड़े समय के लिए छोटी राशि के ऋण लेना पसंद करती है। कर्ज देने वाले मौजूदा पारम्परिक प्लेटफार्म जैसे बैंक और एनबीएफसी की सेवाएं इस सेगमेंट के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, क्रेडिट हिस्ट्री की कमी ने स्थिति को और भी विकट कर दिया है। एसएलक्यू, इस बड़ी अपरिपक्व आबादी को सिस्टम द्वारा उत्पन्न स्कोर के आधार पर क्रेडिट प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जल्द ही, प्लेटफार्म को अन्य संस्थानों (बैंकों, एनबीएफसी और क्रेडिट ब्यूरो) के लिए भी स्थापित किया जाएगा ताकि सिस्टम को एकीकृत और लाभदायक बनाया जा सके जिससे उन्हें एक बड़ी जनता तक पहुंचने में मदद मिल सके।

पारंपरिक उधार एजेंसियों के विपरीत जो केवल आवेदक के पिछले वित्तीय लेनदेन पर भरोसा करते हैं, कैशई का क्रांतिकारी दृष्टिकोण उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर की गणना करने के लिए अपने मोबाइल, सोशल और मीडिया फुटपिं्रट, शिक्षा, पारिश्रमिक, करियर और वित्तीय इतिहास जैसे कई ऑनलाइन और ऑफलाइन डेटा पॉइंट को जोड़ता है।