नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा है कि सिर्फ अहिंसक आंदोलन के बल पर भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी नहीं मिली है बल्कि क्रांतिकारियों का बलिदान और योगदान भी उतना ही ज़्यादा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई 1857 से शुरू होकर नौ दशकों तक चली.
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सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘‘कभी-कभी मुझे दुख होता है. मैं किसी की आलोचना नहीं करना चाहती. कई अन्य चीजें भी महत्वपूर्ण हैं. सावरकर (स्वतंत्रता सेनानी वीर दामोदर सावरकर) ने लिखा है, जब आप स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सोचते हैं तो आपको 1857 से 1947 तक सोचने की जरूरत है. आपको स्वतंत्रता संग्राम के 90 साल के बारे में सोचने की जरूरत है.’’
चिंचवाड़ा के चापेकर वाड़ा में स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिवीर दामोदर चापेकर के सम्मान में डाक टिकट जारी करने के बाद सुमित्रा ने रविवार को यहां यह बातें कहीं. उन्होंने कहा, ‘‘हमने सिर्फ अहिंसा के मार्ग से स्वतंत्रता नहीं पाई है, क्योंकि महात्मा गांधी के सामने आने से पहले कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.’’
इंदौर से सांसद महाजन ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुआ और उसी ने स्वतंत्रता की लौ जलाई. बाद में महात्मा गांधी ने इस काम में जन-मानस को साथ जोड़ा. उन्होंने कहा, "1857 की क्रांति के बाद गांव में रहने वालों को भी आजादी के मायने पता चले. बाद गांधी आए और उन्होंने अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर जन-मानस को अपने साथ किया और सभी से स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने को कहा.'
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