नई दिल्ली: भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम-ए) को राजस्व विभाग ने उसके द्वारा चलाए जा रहे कोर्स के लिए जीएसटी के तहत 52 करोड़ रुपये का सर्विस टैक्स चुकाने का नोटिस भेजा है. राजस्व विभाग के इस नोटिस को रद्द करने के लिए आईआईएम-ए ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की है. इसके साथ ही आईआईएम-ए ने आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल में भी अपील की है.

देश के सर्वोच्च मैनेजमेंट स्कूल को कमर्शियल कोचिंग सेंटर मानते हुए जीएसटी के प्रधान आयुक्त (अहमदाबाद) ने आईआईएम-ए को जीएसटी के रुप में 52 करोड़ रुपये भरने का निर्देश जारी किया था. आईआईएम-ए मुख्य तौर पर चार कोर्स चलाता है- रेग्युलर पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम, पीजीपी (एग्री बिजनेस एंड मैनेजमेंट), फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट और पीजीपी-एक्स (एग्जिक्यूटिव).

राजस्व विभाग ने 2009-10 से 2014-15 के दौरान जमा की गई फीस पर सर्विस टैक्स के तहत 52 करोड़ रुपये जमा करने का नोटिस जारी किया है.

आईआईएम-ए के डायरेक्टर प्रोफेसर इरोल डिसूजा ने एक बयान में कहा, "हमने इस मामले को एचआरडी मंत्रालय से निवेदन किया है और मामले को देखा जा रहा है. आईआईएम-ए ने नोटिस के खिलाफ 13 फरवरी 2018 ट्रिब्यूनल में अपील की थी."

एचआरडी को लिखे पत्र में आईआईएम-ए ने कहा है कि मंत्रालय को वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर इस मामले को सुलझाना चाहिए क्योंकि आईआईएम-ए शैक्षणिक संस्थान है जिसे जीएसटी के तहत सेवा कर देने में छूट मिली हुई है.

पत्र में आईआईएम-ए ने वित्त मंत्रालय द्वारा मार्च 2016 की अधिसूचना का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि फुल टाइम पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम, फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट और फाइनल-ईयर इंटिग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट के लिए सभी आईआईएम को सर्विस टैक्स में छूट दी जाएगी.

जनवरी 2018 में आईआईएम एक्ट लागू होने के बाद अन्य आईआईएम ने भी एचआरडी मंत्रालय को इस बात की शिकायत की है कि राजस्व विभाग उनसे सर्विस टैक्स की मांग कर रहा है.