नई दिल्ली: विवादित इस्‍लामिक प्रचारक जाकिर नाईक के भारत लौटने की खबर को मलेशिया के प्रधानमंत्री के बयान ने बड़ा झटका दिया है. मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्‍मद ने कहा है कि उनका देश अभी जाकिर नाईक को भारत भेजने को तैयार नहीं है.

मोहम्‍मद ने कहा कि जब तक जाकिर नाईक उनके देश में किसी तरह की दिक्‍कत पैदा नहीं करते, तब तक उन्‍हें भारत भेजने का सवाल ही नहीं उठता.

विदेश मंत्रालय ने जनवरी में नाईक को प्रत्यर्पित करने का औपचारिक अनुरोध किया था. अपने घृणा भाषणों के जरिये युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर भड़काने के आरोप में वह भारत में वांछित है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि, 'हमारे अनुरोध पर मलेशियाई पक्ष गंभीरता से विचार कर रहा है. हमारा कुआलालम्पुर में हमारा उच्चायोग इस संबंध में संबंधित मलेशियाई अधिकारियों से नियमित सम्पर्क में है.'

गौरतलब है कि एनआईए ने नफरत भरे भाषणों के जरिए युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाने और समुदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने के आरोप में विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया था. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आतंकी हमले के बाद एक जुलाई, 2016 को नाइक देश से बाहर चला गया था.

बांग्लादेश ने दावा किया था कि हमले में शामिल आतंकवादी नाइक के भाषणों से प्रेरित थे. एनआईए ने 18 नवंबर, 2016 को अपनी मुंबई शाखा में नाइक के खिलाफ यूएपीए कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. नाइक के संगठन 'इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन' (आईआरएफ) को केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही गैरकानूनी संगठन घोषित कर चुका है.