नई दिल्ली: पिछले दिनों भारत सरकार ने Whatsapp से उसके ऐप द्वारा फैलाई जा रही फेक न्यूज रोकने का आदेश जारी किया था. अब इस संबंध में Whatsapp ने जवाब दिया है. कंपनी ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म के जरिए इन मैसेज को रोकना एक चुनौती है और इसके लिए उनके और भारत सरकार के बीच पार्टनरशिप की जरूरत है.

3 जुलाई को आईटी मंत्रालय को भेजे गए लेटर में WhatsApp ने लिखा है कि वह लोगों को उन जानकारियों से वाकिफ करा रहा है जिससे लोग सुरक्षित रह सकें. साथ ही वह ग्रुप चैट में भी तब्दीली कर रहा है ताकि फेक मैसेज को फैलने से रोका जा सके.

WhatsApp ने कहा है कि वह भारत में लंबे समय तक पब्लिक सेफ्टी कैंपेन चलाना चाहता है और इसके लिए वह पिछले कुछ समय से नया लेबल टेस्ट कर रहा है. यह लेबल दिखाता है कि यूजर ने कब मैसेज फॉरवर्ड किया और कब क्या लिखा. इसके जरिए जिस यूजर को मैसेज भेजा गया है उसे पता चल जाएगा कि जो कंटेंट वह पढ़ रहा है वह सामने वाले ने लिखा है या किसी अफवाह को फैलाने के लिए भेजा गया है. उन्होंने लिखा है कि वे यह फीचर जल्द ही लॉन्च करने जा रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दिनों WhatsApp के जरिए बच्चों को अगवा करने की फेक खबर फैली थी, जिसके बाद 30 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है. इस अफवाह से पूरे देश में माहौल भयावह हो चला है. भारत में WhatsApp का इस्तेमाल करीब 20 करोड़ लोग करते हैं. ऐसे में फेक मैसेज और वीडियो ने पहले से ही डेटा प्राइवेसी को लेकर विवाद में चल रही पैरेंट कंपनी फेसबुक का सिरदर्द बढ़ा दिया है.

Whatsapp ने कहा, "हम लोगों को नियमित रूप से बता रहे हैं कि ऑनलाइन सेफ कैसे रहें. उदाहरण के तौर पर हम हर रोज बताते हैं कि कैसे फेक न्यूज को पहचानें. साथ ही हम जल्द ही इस संबंध में एजुकेशनल मटेरियल मुहैया कराएंगे. इस साल पहली बार हमने फैक्ट चेकिंग संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया है ताकि अफवाहों और फेक खबर को फैलने से रोका जा सके और WhatsApp का इस्तेमाल करते हुए उसका जवाब दिया जा सके. उदाहरण के तौर पर हमने इस संबंध में मैक्सिको प्रेसीडेंशियल चुनाव के लिए काम किया था. इस दौरान चुनाव से संबंधित जानकारी को लेकर यूजर्स ने हजारों फेक मैसेज भेजे थे. इसके जवाब में हमने यूजर्स को सही जानकारी मुहैया कराई थी और बताया था कि क्या फेक है और क्या सही. हम ब्राजील में इसी प्रोग्राम पर 24 न्यूज कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं, उम्मीद है कि इन दोनों मामलों से जो हमें सीख मिली है उसे हम भारत में इस्तेमाल करते हुए फेक न्यूज रोक पाएंगे."