लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बागपत और सहारनपुर के रहने वाले छह युवाओं ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि कश्मीर के पुलवामा में उनसे जबरदस्ती पत्थरबाजी कराई गई. शुक्रवार को यूपी के डीजीपी ओ पी सिंह ने उनके दावों को खारिज करते हुए उनकी कहानी को झूठी और मनगढ़ंत बताया.

ओ पी सिंह ने कहा, "मामले ने जैसे ही मीडिया में सुर्खियां बटोरी हमने तुरंत उसकी जांच कराने का फैसला किया. हमने पाया कि उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए झूठी कहानी रची थी."

प्रदेश डीजीपी के अनुसार ये युवा दर्जी का काम करने के लिए 20 हजार की तनख्वाह पर पुलवामा गए थे, लेकिन, बागपत और सहारनपुर लौटने से पहले वे सफाई और गाड़ी धोने जैसे का काम करने लगे.

पुलिस को शक था कि भारतीय सेना के सर्च ऑपरेशन के दौरान ठेकेदार ने उन्हें पत्थरबाजी के लिए मजबूर किया होगा. युवाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें अब भी कश्मीर से धमकी भरे फोन आ रहे हैं, इसलिए उन्होंने पुलिस से मदद मांगी है.

युवाओं की इस कहानी का खुलासा करते हुए ओ पी सिंह ने कहा, "जांच के दौरान हमने पाया कि सिलाई कारखाने के मालिक ने उनसे संपर्क करके उनपर कपड़े चोरी करने का आरोप लगाया. यह जानकर कि उन्हें जल्द ही पकड़ा जा सकता है, गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने एक कहानी तैयार करने का फैसला किया." उन्होंने बताया कि युवक इसके बाद पुलिस के पास गए और आरोप लगाया कि वे काम करने के लिए कश्मीर गए थे, लेकिन वहां उनसे पत्थरबाजी का काम कराया गया.

"सच्चाई यह है कि ऐसी कोई घटना कभी हुई ही नहीं. वास्तव में इन लोगों ने कारखाने से कपड़े चुराए थे. हम आश्वस्त हैं उनकी कहानी नकली है और इसलिए हमने इस मामले की जांच न करने का फैसला किया है," डीजीपी ने कहा. उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई शिकायत नहीं हुई है. इसलिए चोरी के आरोप में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

बता दें कि गुरुवार को सहारनपुर और बागपत के छह युवाओं ने आरोप लगाया था कि वे रोजगार के लिए कश्मीर गए थे. उन्हें 20 हजार रुपये प्रतिमाह पर सिलाई के काम पर रखा गया था. कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, मगर कुछ दिन बाद उन्हें दूसरे कामों में लगा दिया गया. युवाओं ने आरोप लगाया कि उनसे पत्थरबाजी भी कराई जाती थी.