ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल-एसआईडीबीआई एमएसएमई पल्स रिपोर्ट का दूसरा संस्करण बताता है कि कुल कमर्शियल क्रेडिट एक्सपोजर (वर्ष-दर-वर्ष) ने पिछले पांच तिमाहियों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर देखी है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में वाणिज्यिक ऋण एक्सपोजर की टोटल ऑन-बैलेंस शीट मार्च 2018 तक लगभग 54.2 लाख करोड़ रुपए थी, इसमें लगभग 12.2 लाख करोड़ रुपए लघु और एसएमई सेगमेंट का था जो बकाया वाणिज्यिक ऋण में 23 फीसदी का योगदान दे रहा है। वाणिज्यिक बकाया ऋण में योगदान करने वाले बड़े कॉर्पोरेट मार्च 2018 में 18 फीसदी की चूक दर दर्शा रहे हैं, जो मार्च 2017 में लगभग 16 फीसदी थी। एनपीए के त्रैमासिक परिवर्धन वित्तीय वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही से तीसरी तिमाही तक सबसे ज्यादा वृद्धि दर्शा रहे हैं। जबकि एनपीए दर की वृद्धि में कमी आई है। हालांकि, यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी कहलाएगा कि एनपीए की समस्या नीचे आ गई है। एमएसएमई पल्स रिपोर्ट एक तिमाही रिपोर्ट है, जो निकटतम आधार पर देश में एमएसएमई सेगमेंट को बारीकी से ट्रैक और मॉनीटर करती है। ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल कमर्शियल ब्यूरो में स्वामित्व / साझेदारी फर्मों से लेकर सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध इकाइयों तक, 50 लाख से अधिक व्यावसायिक संस्थाएं हैं। बैंक, एनबीएफसी, एचएफसी, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अन्य विनियमित उधारदाताओं के एक्सपोजर और प्रदर्शन विवरण के साथ क्रेडिट डेटा मासिक तौर पर अद्यतन किया जाता है।

एसआईडीबीआई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री मोहम्मद मुस्तफा ने इस रिपोर्ट के बारे में कहा, ‘क्रेडिट ब्यूरो डेटा की अंतर्दृष्टि के उपयोग ने व्यापक, सटीक और त्वरित डेटा के आधार पर जोखिमों की निगरानी को सक्षम किया है। एमएसएमई पल्स ट्रांसमिशन सीआईबीआईएल के साथ पॉलिसी निर्माताओं, नियामकों और उद्योग को नीतियों के साथ-साथ व्यावसायिक निर्णयों का समर्थन करने के लिए सटीक डेटा संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए एसआईडीबीआई का यह एक संयुक्त प्रयास है।’ रिपोर्ट के दूसरे संस्करण के निष्कर्षों पर टिप्पणी देते हुए उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों की गवाही स्पष्ट तौर पर बता रही है कि एमएसएमई सेगमेंट ने जीएसटी और विमुद्रीकरण के अल्पकालिक प्रभाव को पीछे छोड़ डाला है। वे 25 करोड़ रुपयों से नीचे के 15फीसदी से बढऩे वाले सेगमेंट के साथ विकास पथ पर मजबूती से वापस आ गए हैं। जीएसटी के सकारात्मक प्रभाव से क्रेडिट में नए विकास का पता चलता है। रिपोर्ट में पाया गया है कि एमएसएमई को भारतीय रिजर्व बैंक के ऋण-वितरण में 180 दिनों के एनपीए को मान्यता देने के बाद एनपीए को संबोधित करने के पिछले दृष्टिकोण के विपरीत 90 दिनों के जोखिम से राहत मिलेगी।’