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खट्टर के दफ्तर से घोटालों से जुड़ी फाइलें गायब

नई दिल्ली: हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के दफ्तर से घोटालों से जुड़ी संवेदनशील फाइलें गायब हो गई हैं। खुलासा होने के बाद सीएम ऑफिस ने पुलिस से पता लगाने को कहा है।ये फाइलें राष्ट्रपति के आदेशों और पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को रद्द करने पर उपजे कानूनी विवाद से जुड़ीं हैं।मुख्यमंत्री कार्यालय ने फाइलों के गायब होने की 21 मई को चंडीगढ़ के थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई हैं। ये फाइलें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कई घोटालों का खुलासा करने की वजह से चर्चित आइएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी से जुड़ी हैं।

भारतीय वन सेवा के अफसर संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में कई वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत की थी।आरोप है कि इससे खुन्नस होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके मातहत अफसरों ने संजीव चतुर्वेदी को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की थी। केंद्रीय पर्यावरण विभाग के पैनल की जांच में यह बात सामने भी आई थी। इस बीच हुड्डा ने मुख्यमंत्री खट्टर से पैनल की रिपोर्ट को रद्द करने की गुहार लगाई थी। पहले तो खट्टर सरकार ने हुड्डा की याचिका वापस लेने का फैसला किया था हालांकि बाद में इसका समर्थन किया।जब व्हिसिल ब्लोवर संजीव चतुर्वेदी ने बीते मार्च में आरटीआई के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित फाइलों के बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि उपलब्ध ही नहीं हैं।

बता दें कि भारतीय वन सेवा के अफसर संजीव चतुर्वेदी ने वर्ष 2009 में हिसार में डीएफओ रहते हुए कुरुक्षेत्र के सरस्वती वन्यजीव अभयारण्य में अवैध निर्माण से संबंधित मामले का खुलासा किया था। इसके बाद उन्होंने निर्माण कार्य रुकवा दिया था। जिस पर हरियाणा सरकार ने उन्हें कथित तौर पर नियमों के उल्लंघन में आरोपी बनाया था। हालांकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पैनल की जांच में संजीव चतुर्वेदी पर लगे आरोप झूठे मिले थे।संजीव चतुर्वेदी ने न केवल अवैध खनन, बल्कि फर्जी पौधरोपण, शिकार और घोटाले आदि की खुलासा किया था। जिस पर शासन ने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

जब केंद्रीय पैनल ने सीबीआई जांच कराने के साथ ही चतुर्वेदी पर लगे आरोपों को रद्द करने की सिफारिश की तो 2011में राष्ट्रपति ने आरोप रद्द करने के आदेश भी दे दिए। मगर राज्य सरकार ने सीबीआई जांच से इन्कार कर दिया था।इस बीच राज्य सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शिकायत के मुताबिक संबंधित फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गईं थीं मगर जब वापस आईं तो उसमें से मूल टिप्पणी और कई जरूरी दस्तावेज गायब मिले। बहरहाल मुख्यमंत्री कार्यालय ने चंडीगढ़ थाना-17 में इस बाबत रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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