नई दिल्ली: विपक्ष के तमाम आरोपों के बाद अब राफेल फाइटर सौदे की जांच नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी कर रहा है। मंगलवार (5 जून, 2018) को एक सूत्र के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इसके अलावा GSTN पर भी सरकारी ऑडिटर की नजर रहेगी। इंडियन एयरफोर्स के लिए राफेल की खरीदारी पर इस डील से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि, ‘राफेल सौदे को सीएजी द्वारा ऑडिट किया जाना है। हमारे लिए यह रूटीन ऑडिट है।’ सूत्र के मुताबिक राफेल समझौता विपक्षी कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक विवाद के केंद में रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार में किए गए सौदे के लिए ज्यादा भुगतान किया था। विश्वसनीय सूत्र ने आगे बताया, ‘हमें राफेल डील को ऑडिट करना है, जैसे किसी भी हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन के ऑडिट करने की जरुरत होती है। हालांकि इसे पूरा करने की लिए अभी कोई समय सीमा घोषित नहीं की गई है।’ इसी साल फरवरी में इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि एनडीए सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे पर बातचीत की थी।

वहीं रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील पर कांग्रेस के उन आरोपों को निराधार बताया है जिसमें आरोप लगाया कि इस सौदे से सरकारी खजाने को चालीस हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमान खरीदने में कोई भी गलत काम या घपला नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कांग्रेस का नाम बिना लिए कहा कि फर्जी तुलना की जा रही है और सौदे से संबंधित हमले राजनीति से प्रेरित हैं। सीतारमण ने कहा, ‘मेरा पूर्ण आश्वासन है कि सौदे में कोई भी गलत काम नहीं हुआ है। मैं मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आश्वस्त करती हूं कि, हां राफेल में कोई भी घपला नहीं हुआ है। हम इस पर काफी स्पष्ट हैं। सरकार यह बताने में काफी समय खर्च कर रही है कि कैसे यह निर्णय लिया गया था और यह एक अंतर-सरकारी समझौता था।’

गौरतलब है कि कांग्रेस आरोप लगाती है कि मोदी सरकार द्वारा राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए यूपीए सरकार द्वारा तय की गई राशि से बहुत ज्यादा है। काग्रेंस का आरोप है कि यूपीए सरकार ने प्रति लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 526 करोड़ में सौदा किया जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 1670 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस तरह से 36 विमान खरीदने में सरकारी खजाने को करीब चालीस हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।