Lucknow. राजधानी लखनऊ के पर्यावरण को सुधारने के लिए नगर निगम हर सहयोग करने को तैयार है। अगर पर्यावरण ठीक करना है तो इसमें हर एक को जागरूक होना होगा। ये बातें मेयर संयुक्ता भाटिया ने कहीं। वो पर्यावरण दिवस पर प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) के सभागार में आयोजित समारोह में हिस्सा लेने पहुंची थीं। चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से प्राणिउद्यान में आयोजित समारोह में यूनाइट फाउंडेशन ने भी अपनी सहभागिता निभायी। महापौर ने प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित भी किया जिन्होने निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया।

मेयर ने बताया कि जैसे इस बार पर्यावरण दिवस पर पूरे विश्व की थीम प्लास्टिक से छुटकारा पाना है। हम सबको मिलकर लखनऊ को भी प्लास्टिक से बचाना होगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग तो हम कर रहे हैं लेकिन इसके निस्तारण का तरीका ही सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को सुधारने में सबसे बड़ा योगदान बच्चे दे सकते हैं। मेयर ने कहा कि बच्चों को जागरूक करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी जिम्मेदारी समझे। मेयर भाटिया ने अपने उस संकल्प को भी बताया जो उन्होंने मेयर बनने के दौरान लिया था। मेयर ने बताया कि उनका संकल्प लखनऊ को पर्यावरण की दृष्टि से नंबर एक शहर बनाने का है जिसके लिए वो लगातार प्रयास कर रही हैं।

समारोह में रिटायर्ड आईएफएस अफसर और प्रधान मुख्य वन संरक्षक रहे रूपक डे भी शामिल रहे। उन्होंने जो तस्वीर दिखाई वो बेहद ही भयावह थी। रूपक डे ने बताया कि 70 मिलियन प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल एक मिनट में हो रहा है। ये सारा प्लास्टिक कचरा हमारे पर्यावरण को खत्म कर रहा है। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब पहले मैं कुकरैल पुल से खुर्रमनगर जाता था तो कभी प्लास्टिक नहीं दिखता था। लेकिन अब जब भी वहां से गुजरता हूं तो मुझे वहां की तस्वीर हैरान कर देती है। वहां सिर्फ प्लास्टिक ही दिखती है। रिटायर्ड अफसर ने बताया कि विश्व में पहली बार 1933 में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया था। अब तो प्लास्टिक हमारी जिन्दगी का हिस्सा बन चुका है। समारोह में उन्होंने बच्चों को एक सलाह भी दी कि पेंसिल या फाउंटेन पेन का इस्तेमाल कीजिये ताकि यूज एंड थ्रो वाले पेनों से छुटकारा मिले जो प्लास्टिक कचरा है।

समारोह में मौजूद सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. हिम्मत सिंह दानू ने प्लास्टिक से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक जितनी रिसाइकिल हो जा रही है, उतनी ठीक है लेकिन जो बच जा रही है, वो पशुओं से लेकर इंसानों की मौत की वजह बन रही है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक खाने पशु मर जा रहे हैं। समुद्र में हर साल 130 लाख टन प्लास्टिक कचरा जा रहा है। इसको खाने से जलीय जंतु भूखे मर जाते हैं। वहीं इंसानों को इससे कैंसर और सांस के गंभीर रोग हो रहे हैं। डॉ. दानू ने कहा कि पर्यावरण के मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा होनी चाहिए ताकि हर ओर जागरुकता फैल सके।

समारोह में सिविल अस्पताल के चिकित्सक अशोक यादव ने बताया कि प्लास्टिक का इस्तेमाल हमको बीमार कर रहा है। जो चाय हम लोग अक्सर पन्नी में पैक करवाकर लाते हैं, उससे कैंसर हो सकता है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर तक प्लास्टिक के इस्तेमाल से बीमार हो रहे हैं। चिकित्सकों को अक्सर दस्ताने पहनने पड़ते हैं जिससे उनको एलर्जी हो रही है जिसका कोई इलाज ही नहीं है। अशोक यादव ने बताया कि प्लास्टिक का प्रदूषण हजारों सालों तक रहता है क्योंकि प्लास्टिक हजारों सालों में नष्ट नहीं होता है। डॉक्टर ने एक और खास बात बताई कि 40 साल पहले लोगों की सेहत आज के मुकाबले काफी बेहतर थी। अब बच्चों तक को बड़ी बीमारियां होने लगी हैं। प्रदूषण से जंग में बच्चों को भी भागीदार बनाना होगा।

प्राणिउद्यान के समारोह में निदेशक आर. के. सिंह भी बच्चों को जागरूक कर रहे थे। उन्होंने बच्चों से कहा कि अगर आपकी दादी की दादी मिल जाये तो वो नहीं जानती होंगी कि कार क्या होती है। हवाई जहाज क्या होता है। उनको लगेगा कि आप स्वर्ग में हैं। निदेशक ने बच्चों से पूछा कि बताइये क्या वाकई इस पर्यावरण में हम स्वर्ग में हैं। आरके सिंह ने बच्चों से कहा कि पर्यावरण खराब होता जा रहा है। बच्चों को इसे समझना होगा और हमको भी बच्चों को समझाना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी जागरूक हो सके।

समारोह में मौजूद यूनाइट फाउंडेशन के सचिव सौरभ मिश्रा ने बताया कि बच्चों से सकारात्मक इस धरती पर कोई नहीं है। हम सब लोग कृत्रिम दुनिया की ओर भाग रहे हैं और प्रकृति से दूर जा रहे हैं। जबकि जरूरत प्रकृति के पास जाने की है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि गर्मी लगने पर आप एसी के नीचे बैठ जाते हैं लेकिन कभी लखनऊ के कैंट इलाके से गुजरिये तो वहां का तापमान अपने आप 10 डिग्री तक कम लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां हरियाली ज्यादा है। श्री मिश्रा ने कहा कि प्रकृति की शरण में रहने वालों को बीमारी बहुत कम होती है। उन्होंने अपील की कि बाजार जाते समय पॉलीथिन की जगह कपड़े के झोलों का इस्तेमाल किया जाये।
कार्यक्रम में यूनाइट फाउण्डेशन की सहयोगी संस्था विनोबा सेवा आश्रम, वैदेही वेलफेयर फाउण्डेशन, ज्यूपिटर एकेडमी और सार्थक फाउण्डेशन ने भी भाग लिया। वहां उपस्थित बच्चों के बीच विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर स्लोगन आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी बच्चों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विजयी प्रतिभागियों को 14 जून को रक्त दान दिवस के मौके पर संकल्प 2018 की समाप्ति के दिन सम्मानित किया जायेगा।