इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस वक्त बेहद डांवाडोल है। सोमवार (चार जून) को इस बारे में वित्त मंत्रालय ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नसीरुल मुल्क को रिपोर्ट सौंपी। वित्त सचिव आरिफ अहमद खान ने इसमें चेताया कि अगर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मदद नहीं की, तो देश की बर्बादी तय है। देश की स्थिति आईएमएफ की मदद के बगैर दुरुस्त नहीं हो सकती।

खान आगे बोले, “हमने कार्यवाहक पीएम से अनुमति मांगी है, जिसके बाद जल्द से जल्द इस बारे में आईएमएफ से बातचीत शुरू की जाएगी।” हालांकि, इस मसले पर कोई भी फैसला नए वित्त मंत्री के चुने जाने के बाद ही लिया जा सकेगा।

वित्त मंत्रालय के अलावा देश की लड़खड़ाई स्थिति से अंतरिम पीएम को फेडरल रेवेन्यू बोर्ड (एफबीआर) और इकनॉमिक एफेयर्स डिविजन (ईएडी) ने भी रू-ब-रू कराया। वित्त सचिव ने कार्यवाहक पीएम को स्पष्ट किया कि देश के पास आईएमएफ की मदद के सिवाय और कोई विकल्प नहीं बचा है।

वहीं, एक अन्य सरकारी अधिकारी ने बताया कि देश की हालत पटरी पर लाने के लिए मदद कब, किससे और कैसे ली जाएगी, ये सारी चीजें कार्यवाहक पीएम ही तय करेंगे।

पाकिस्तान की माली हालत कर्ज में बुरी तरह से डूबने के कारण पस्त हुई है। ‘डॉन’ अखबार के अनुसार, पाकिस्तान भुगतान संबंधी समस्या की वजह से पड़ोसी मुल्क चीन से 68 से 135 अरब रुपए का नया लोन लेने के बारे में सोच-विचार कर रहा है। पाकिस्तान की यह स्थिति दर्शाती है कि वह कैसे दूसरे देशों पर आश्रित है।

पाकिस्तान इस वक्त चीन पर इसलिए भी अधिक निर्भर हो रहा है, क्योंकि अमेरिका से होने वाली वित्तीय मदद में बीते कुछ समय में कटौती देखने को मिली है। ‘बीबीसी’ की खबर की मानें तो, पाकिस्तान के पास 10.3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है।