नई दिल्ली: तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता कंपनी की स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ पिछले कई महीनों से जारी विरोध प्रदर्शन आज अचानक हिंसक हो उठा. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के साथ हुई झड़प में कम के कम दो लोगों की मौत की खबर है, जबकि छह अन्य घायल हुए हैं.

तमिलनाडु के डीजीपी टीके राजेंद्रन ने कहा, 'तूतीकोरिन के लोगों को किसी चिंता की जरूरत नहीं. हम हालात को काबू में लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और यह अब काफी हद तक काबू में भी आ चुका है.' वहीं प्रदर्शनकारियों की मौत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी मौत पुलिस की गोलियों से हुई यह जांच के बाद भी स्पष्ट हो सकेगा.

वहीं मौके पर मौजूद चश्मदीदों के मुताबिक, पुलिस ने जब प्रदर्शनकारियों को कारखाने तक पहुंचने से रोका तो उन्होंने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए, वहीं कुछ प्रदर्शनकारियों ने मिलकर एक पुलिस वाहन को पलट दिया. इन प्रदर्शनकारियों ने स्टरलाइट प्लांट के साथ साथ कलेक्टर ऑफिस के घेराव की भी कोशिश की. ऐसे में भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

पुलिस की इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया और उन्होंने कलेक्टर ऑफिस के अंदर खड़ी गाड़ियों को आग लगा दी. हालात बिगड़ती देख पुलिस ने तुरंत अतिरिक्त बल मंगाई. ऐसे में हालात पर काबू करने के लिए पास के जिलों से 2000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तूतीकोरिन भेजा गया है.

स्थानीय लोग स्टरलाइट कारखाने के खिलाफ लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कारखाने को बंद करने की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि इस कारखाने के कारण इलाके में भूमिगत जल (अंडरग्राउंड वाटर) भी प्रदूषित हो रहा है.

वहीं मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने स्टरलाइट कारखाने के इर्दगिर्द सुरक्षा बढ़ा दी थी और वहां धारा 144 लागू कर दिया था.
उधर इस मामले को लेकर डीएमके ने सत्ताधारी एआईएडीएमके सरकार को इस हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है. डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने ट्वीट कर कहा, 'तूतीकोरिन में हुई हिंसा के लिए एआईएडीएमके सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कभी लोगों की समस्याओं के समाधान पर ध्यान ही नहीं दिया.'

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड की स्टरलाइट कॉपर तांबे ढालने का काम करती है और तूतीकोरिन स्थित इस प्लांट से सालाना करीब चार लाख टन तांबा ढाला जाता है.