नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हिमाचल प्रदेश की डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की ओर से दी जा रही मानद उपाधि लेने से इनकार कर दिया है। कोविंद नौणी स्थित वानिकी विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। उन्होंने यहां मेधावी छात्रों को सम्मानित भी किया। यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रपति को मानद उपाधि देने की पेशकश की, लेकिन कोविंद ने इसे ठुकरा दिया। इसके साथ ही राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वह खुद को मानद उपाधि लेने के लायक नहीं समझते हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी की पेशकश को मना करते हुए कहा, ‘आपकी भावनाओं का मैं आदर करता हूं, लेकिन मैं इसे लेने के काबिल नहीं हूं।’ राष्ट्रपति कोविंद ने यहां शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया और छात्रों को भविष्य के लिए राह भी दिखाई।

उन्होंने यहां छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘डॉक्टर यशवंत सिंह परमार विश्वविद्यालय’ को एशिया का पहला हार्टिकल्चर विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। पिछले लगभग तीन दशकों के दौरान राज्य में हार्टिकल्चर और फोरेस्ट्री के विकास में इस विश्वविद्यालय का सराहनीय योगदान रहा है।’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिसमें राज्य की लगभग 70% काम-काजी आबादी को रोजगार प्राप्त होता है। देश की आबादी का लगभग 55% कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों मे लगा है। इसीलिए आज किसानों की आय में बढ़ोतरी और ग्रामीण क्षेत्र का विकास देश की प्राथमिकता है। आज देश में लगभग 300 मिलियन टन बागवानी फसलों का उत्पादन हो रहा है। हम हार्टिकल्चर उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं। इस सफलता के पीछे हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के साथ-साथ, कृषि विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। हार्टिकल्चर के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन बहुत ही प्रभावशाली है। बहुत ही ठंढे इलाकों में फलों, सब्जियों और फूलों के उत्पादन और उत्पादकता में लगातार सुधार हुआ है। इससे निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। रोजगार के अवसर बढ़े हैं।’ यूनिवर्सिटी के 9वें दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी शामिल हुए थे।