लखनऊ: “ सचिन वालिया के हत्यारों की शीघ्र हो गिरफ्तारी”- यह बात एस.आर.दारापुरी, पूर्व आई.जी. एवं संयोजक, जन मंच ने प्रेस को जारी बयान में कही है. उन्होंने कहा है कि आज दिन में भीम आर्मी के सहारनपुर जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया को शहर से सटे गाँव रामनगर में 4 लोगों ने उस समय सीने में गोली मार दी गयी जब वह दुकान पर सामन ले रहा था और महाराणा प्रताप जयंती का जुलूस पास से गुज़र रहा था. इस घटना से पहले भीम आर्मी के सदस्यों को देख लेने की लगातार धमकियाँ मिल रही थीं. यह ज्ञातव्य है कि पिछले साल भी 5 मई को महराणा प्रताप जयंती के अवसर पर ही शब्बीरपुर के दलितों पर राजपूतों द्वारा हमला किया गया था जिसमें दलितों के 60 घर जला दिए गये थे तथा 20 दलित बुरी तरह से ज़ख़्मी हुए थे. इस मामले में भी पुलिस ने हमलावरों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाही न करके 7 राजपूतों सहित 7 दलितों को भी गिरफ्तार कर लिया था तथा दो दलितों पर रासुका भी लगा दिया था जो अभी तक जेल में हैं. इसी पक्षपातपूर्ण कार्रवाही का विरोध करने पर भीम आर्मी के सदस्यों के विरुद्ध 19 मामले दर्ज कर 40 लोगों की गिरफ्तारी की गयी थी. भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को भी गत वर्ष जून में गिरफ्तार किया गया था और सितम्बर 2017 को जब उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गयी थी तो उस पर रासुका लगा दिया गया जिसे अब तक दो बार बढ़ाया जा चुका है जिस कारण वह लगभग एक साल से जेल में बंद है.

यह भी उल्लेखनीय है कि एक तरफ योगी तथा उसके मंत्री दलितों को लुभाने के लिए उनके घर जा कर भोजन करने का नाटक करते हैं और योगी आंबेडकर महासभा के स्वयम्भू अध्यक्ष लालजी निर्मल से “दलित मित्र” का सम्मान प्राप्त करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक राजपूत दलितों को गोली मार कर हत्यायें कर रहे हैं. यह बड़े दुःख की बात है उत्तर प्रदेश में सामंती तत्वों का मनोबल चरम पर है क्योंकि मुख्यमंत्री स्वयं सामंती ताकतों के सरगना हैं. योगी आदित्यनाथ पहले हिन्दू युवा वाहिनी के सामंती गुंडों के सरगना थे और अब मुख्यमंत्री के तौर पर राजपूत सामंतों को संरक्षण दे रहे हैं. भीम आर्मी के नेताओं पर रासुका लगाकर जेल में बंद रखना और अब उनकी हत्या करवाना एक रणनीति है, ताकि अन्याय के विरिद्ध कोई आवाज़ न उठ सके. यही रणनीति 2 अप्रैल के बंद के बाद भी अपनाई गयी है.